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B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
चाय आन्दोलन को देंगे रफ्तार सुबह की ठंड पर करेंगे वार
उमंग हो
तरंग हो
जैसे कोई जंग हो
सुबह-सवेरे जन सेवा समिति की चाय संग हो
गरम पानी और बिस्कुट का रंग-ढंग हो
कड़ी से कड़ी सरदी यह देख कर दंग हो
गरमाहट पाकर मन उड़े जैसे पतंग हो
जन सेवा समिति का इरादा प्रचंड हो
सड़कों पर मिल जाए जो भी वही संग-संग हो
गरम चाय के तोहफे से मन उसका प्रसन्न हो
मन में उमंग हो
मन में तरंग हो
सुबह-सवेरे का चाय अन्दोलन बुलन्द हो
जन सेवा समिति का सलोना-सपना टिमटिमाता दीप अखंड हो।
– जय भारत जय-जय, जन सेवा समिति का चाय आन्दोलन