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ब्लैक फंगस की दवाओं में किसी राज्य से नहीं किया भेदभाव : केंद्र

नई दिल्ली  । केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के इलाज के लिए फंगस रोधी दवाएं राज्यों को जरूरत के आधार पर आवंटित की गई हैं। केंद्र ने कहा कि इन दवाओं के आवंटन में सहित किसी भी राज्य से भेदभाव नहीं किया गया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि केंद्र नियमित रूप से महाराष्ट्र को फंगस रोधी दवाओं की आपूर्ति कर रहा है।
उन्होंने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंफोटेरिसिन बी की आपूर्ति कम है, लेकिन केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों द्वारा की जा रही मांगों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सिंह ने कहा, देश में दवा की उपलब्धता और राज्यों की मांग के अनुरूप हम आवंटन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हम (भारत सरकार) दवा की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कार्यबल का गठन किया गया है, उच्चतम न्यायालय भी निगरानी कर रहा है। अमेरिका की कंपनी से एंफोटेरिसिन बी के नवीनतम एवं प्रभावी दवा के आयात के लिए हमने छह दवा कंपनियों को लाइसेंस दिया है। सिंह अदालत के पहले के सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या महाराष्ट्र व अन्य राज्यों को ब्लैक फंगस रोधी दवा का आवंटन समान वितरण व्यवस्था पर आधारित है या नहीं। एएसजी ने कहा कि केंद्र महाराष्ट्र को रोजाना एंफोटेरिसिन बी की 15 हजार शीशियां दे रहा है, वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि राज्य को वर्तमान में रोजाना 17,500 से अधिक शीशियों की जरूरत है।


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