देहरादून (संवाददाता)। एक ओर सरका स्वच्छ गंगा, निर्मल गंगा की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर गंगा अपने मायके से ही गंदी होकर आ रही है। गंगा का मायका कहे जाने वाले उत्तरकाशी (बाड़ाहाट) में कूड़े का आज तक कोई ठोस प्रबंध नहीं हो पाया है। वर्षों से उत्तरकाशी शहर और आसपास के कस्बों से प्रति दिन निकलने वाले कूड़े-कचरे से मां गंगा मैली होती रही है और इस कचरे को ढोती रही है। गंगा स्वच्छता के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाले सरकारी कारिंदे और जनता के नुमाइंदे कूड़ा प्रबंधन के ठोस इंतजाम करने के बजाय केवल घास छिलते रहे हैं। गंगा किनारे बसा उत्तरकाशी नगर पौराणिक नगर है। 1918 से 1957 तक सेनिटेशन कमेटी के तहत उत्तरकाशी नगर में स्वच्छता की व्यवस्था का संचालन हुआ। 1958 में पहला पालिका का बोर्ड संचालित हुआ। तब से लेकर अभी तक आठ बार निर्वाचित पालिका के बोर्ड ने नगर में स्वच्छता का संचालन किया। चार बार नगर पालिका का संचालन प्रशासक के जिम्मे भी रहा। आज तक किसी भी निर्वाचित बोर्ड व तैनात प्रशासक ने उत्तरकाशी के कूड़े के प्रबंधन के लिए सही स्थान तक नहीं चुना। बीते नवंबर के प्रथम सप्ताह तक नगर पालिका कूड़े को तेखला गदेरे में डाल रही थी। जहां से कूड़ा बहकर भागीरथी (गंगा) जा रहा था। हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लिया और तेखला गदेरे में कूड़ा डालने पर रोक लगा दी। इसके बाद एक माह से पालिका कूड़े को आजाद मैदान में एकत्र कर रही है। जहां एकत्रित कूड़े को पालिका ने शुक्रवार की रात को देवीधार और नालूपानी के बीच भागीरथी में उड़ेला। कूड़ा प्रबंधन के लिए स्थाई ट्रेचिंग ग्राउंड की तलाश अभी भी नहीं की है। पालिका में नए क्षेत्र जुडऩे के कारण हर दिन एकत्र हो रहे 20 से लेकर 22 कुंतल कूड़े का निस्तारण नहीं बल्कि केवल कूड़े को ठिकाने लगाया जा रहा है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के अनुसार नगर पालिका बाड़ाहाट में कूड़ा निस्तारण की बड़ी समस्या है। इसके लिए कुछ स्थानों के प्रस्ताव शासन को भी भेजे हैं, जिन पर कार्रवाई चल रही है। वर्तमान में शासन की ओर से कूड़ा निस्तारण के लिए नगर पालिका बड़कोट का डंपिंग जोन और नगर पालिका मुनिकीरेती ऋषिकेश के डंपिंग जोन में कूड़ा भेजने के निर्देश पालिका को दिए हैं।
Check Also
Monumentos incomuns e edifícios antigos
Nosso estado, como todos os países do planeta, é único em seus monumentos e estruturas …