रुद्रप्रयाग (अनसूया प्रसाद मलासी)। प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन से प्रभावित रुद्रप्रयाग के करीब डेढ़ दर्जन काश्तकारों से सरकारी जमीन में बने आवसीय एवं व्यवसायिक भवनों का 6 माह पहले आवंटित मुआवजा वापस लेने के नोटिस से लोगों में हड़कंप है। जिला अधिकारी न्यायालय द्वारा मुआवजा वापसी के नोटिस जारी करने से लोगों में रोष है। बताया जा रहा है कि दो गांवों के करीब डेढ़ दर्जन लोग इसकी श्रेणी में है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के लिए सुमेरपुर, रतूड़ा और नगरासू आदि क्षेत्रों में लोगों को उनके भवन और भूमि के मुआवजे दिए गए। प्रभावितों का कहना है कि 25 अप्रैल 2018 एवं 4 मई को जारी अवार्ड के आधार पर 2 साल के गहन अध्ययन के बाद जिला प्रशासन एवं रेल विकास निगम द्वारा प्रतिकर का मूल्यांकन कर 6 माह पूर्व मुआवजा बांटा गया, किंतु अब प्रशासन ने भवनों को सरकारी भूमि में होना बताया और इसके अतिक्रमण की श्रेणी में शामिल करते हुए प्रतिकर मुआवजा वापस करने के नोटिस जारी किए हैं। रेलवे संघर्ष समिति से जुड़े एवं प्रभावित लक्ष्मण सिंह रावत ने बताया कि रुद्रप्रयाग जनपद के रेलवे प्रभावित 10 ग्राम सभाओं में रेलवे में आने वाले सरकारी जमीन में निर्मित भवन आवासीय एवं व्यवसायिक हैं जिससे लोगों की रोजी-रोटी चलती है ऐसे में इन प्रभावितों के सम्मुख रोजी-रोटी, आवास एंव रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। लक्ष्मण सिंह रावत ने बताया कि रेलवे विकास निगम और प्रशासन द्वारा भू-अधिग्रहण की कार्रवाई से पूर्व जिले के 10 गांवों में सामाजिक समाधात प्रोग्राम के तहत खुली बैठकों में काश्तकारों से सम्बन्धित विभागों द्वारा यह आश्वासन दिया गया था, कि प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रेलवे परियोजना में रोजगार की गारंटी अथवा प्रति-परिवार 5 लाख रुपया आदि सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। इस दिशा में भी कोई कार्रवाई नहीं है जिससे लोगों में रोष है। उन्होंने प्रदेश एवं केन्द्र सरकार से मांग की इस विषय पर ठोस निर्णय लेते हुए भू-अधिग्रहण एक्ट 2013 के अनुपालन के साथ-साथ सरकारी भूमि में बने भवनों का मुआवजा वापस किए जाने के नोटिस रद्द किए जाए। ऐसा न होने पर प्रभावित आंदोलन को बाध्य होंगे। एडीएम गिरीश गुणवंत ने बताया कि मानवीय भूल के कारण कुछ लोगों को गलत मुआवजा दे दिया गया है। भूलवश हुई गलती को सुधारा जा रहा है। जिन लोगों को गलती से मुआवजा दिया गया उन्हें मुआवजा वापसी के नोटिस जारी कर दिए गए हैं। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि जब मुआवजा बांटा गया तब कुछ स्थिति में स्पष्ट निर्देश नहीं थे जिस कारण यह गलती हुई। अब स्पष्ट शासनादेश है कि सरकारी भूमि पर बने भवनों को मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसलिए दी गई राशि को लौटाने के लिए नोटिस दिए गए हैं। साथ ही संबंधित तहसीलदार, नायब तहसीलदार और राजस्व उप निरीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
मुआवजा वापस लेने के नोटिस से मचा हड़कंप
अनसूया प्रसाद मलासी