B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
जय श्री राम
किन्तु परन्तु को
पछाड़ कर जो दल
पीछे छोड़ कर
स्वार्थ का दलदल
उठाएगा जो दल राम का झण्डा
धूल चाटेगा राम विरोधियों का हर हथकंडा
समझ में आ गया जिसको यह फंडा
अगली बार संसद की मुँडेर पर लहराएगा उसी का झंडा।
श्रीराम की ताकत का नहीं तुम्हें अंदाजा
भूल गए श्रीराम की गौरव गाथा
श्रीराम से बढ़ कर नहीं कोई नाता
श्रीराम बिना नहीं भजन कोई भाता
हटा कर राम को क्या रह जाता
मूरख भारतवासी तुझे समझ क्यों नहीं आता।
भटको मत
कोई मुद्दा नहीं राम से बढ़ कर
पीड़ितों शोषितों के लिए लड़़ते रहे श्रीराम बढ़ चढ़ कर
समदर्शी श्रीराम पल भर न जिए समरसता से हट कर
समझो जानो यह बात याद रखो रट कर
भुलाओगे राम को तो रह जाओगे मिट कर
श्रीराम मन्दिर का करो समर्थन डट कर।
सत्ता में रहने का उसे अधिकार
जिगर हो जिसमें करे झूठ पर वार
जन्मोगे नहीं बार-बार
उठा लो मर्यादा का हथियार
झूठे सेकुुलरवाद पर धिक्कार
मच जाए चाहे चारों ओर हाहाकार
बाबर के भूत को खदेड़ दो अयोध्या धाम से इस बार
गुलामी के अंश को कर डालो तार-तार
पाँच सौ बरसों के धीरज को दे दो ज़ायज़ हक़ अबकी बार।
-जय भारत