
B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
हुई जब वेदों की रचना, जग झूमा पीकर राम चरित्र की रसना
शिखरों से गिरकर हम आज
खोकर दुनिया के गौरव का ताज
चौराहे पर खड़े हैं मोहताज
हम चिड़िया वे बन गए हैं बाज।
श्री राम का ‘‘शक्ति और चरित्र’’ का सनातन संदेश
श्री कृष्ण का ‘‘पराक्रम और न्याय ’’का संजीवनी आदेश
महर्षि दयानन्द सरस्वती का ‘‘वेदों की ओर चलो’’ का ओजस्वी आवेश
स्वामी विवेकानन्द का ‘‘अपनी जड़ों को तलाशो’’ का जीवंत परिवेश
गुरु गोबिन्द सिंह का ‘‘भारत माता की रक्षा’’ का सिंहनाद विशेष
बताओ फिर क्या रह गया शेष!
भूले हम इन सबको जब मेरे देश!
गुलामी का पाया क्रूर परिवेश
भूल गए हमारा क्या था नैतिक वेश
फिर वही बँटा-बँटा है देश
मुसलिम तुष्टीकरण की आत्मघाती रेस
कुटिल अंग्रेजों ने की थी पेश
शिक्षा-संस्थानों में माइनोरिटी का ज़हरीला नाग
अरे वोट के रोगी देश अब तो जाग
चुनौती बनी खड़ी सच्चाइयों से मत भाग
तभी तो बाबा रामदेव ने सच फरमाया
सभी के पूर्वज राम हैं सुन भाया
पर कुछ लोगों ने इस सच में भी विवाद ही पाया।
-जय भारत