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पाँचजन्य का शंखनाद हो जी जाए, प्रचंड विजय का सिंहनाद फिर हो ही जाए

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B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

सुनो जसवंत सिंह रावत की धरती, देश की पीड़ा तू क्यों नहीं हरती

बासठ की लड़ाई में
ड्रैगनिस्तान की सेना को
अरुणांचल प्रदेश की सीमा पर
धूल चटाने वाली जसवंत सिंह रावत की वीर-प्रसवा धरती
हे बदरी-केदार की पावन धरती
चमत्कार तू कुछ ऐसा क्यों नहीं करती
कड़के आसमान में ऐसी बिजली
दिखे देश को धुंध में लिपटी दिल्ली
बरसें बादल फिर रिमझिम-रिमझिम
झूठ का गुबार सिरे से जो बहा ले जाए
सच पूरा निखर का फिर आए
पूरे देश को पता चल जाए
दुर्योधन की कौरवी सेना तितर-बितर हो जाए
राजनीति के कौरव देश-देशान्तर से जुट आए
राजपाठ-ठाठबाट ऐशो-आराम इनको भाए
देश का गौरव, मान-सम्मान और रुतबा भाड़ में जाए
झूठ-फरेब, अवसरवादिता और भ्रष्टाचार में हैं नहाए
धूर्त, कपटी और देशद्रोही ढेरों जयचन्दों के काले साए
पाँचजन्य का शंखनाद अब तो हो ही जाए
हाँ धर्म-अधर्म का महायुद्ध अब हो ही जाए
जो सिंहासन की तृष्णा में देशद्रोह तक करते आए
तीन-तलाक की विषबेलों को पावन धरती पर बोते आए
जिहादी-जिन्नाओं के आगे नत-मस्तक होते आए
भारत माता को ये कौरव सेना के लड़ाके सदा धोखा देते आए
भारत माता की आँखों में सदा ये धूल झोंकते आए
हम जिस भारत माता के चरणों में झुकते आए
ये उसी भारत माता की आँखों में आँसू देख-देख मुस्काए
जिस भारत की माटी का कण-कण हम जान से बढ़कर पूजते आए
उसी भारत की माटी को बेचकर ये विदेशों में ऐशगाह हैं रचते आए।
-जय भारत

 

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