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हमारे साधुओं को क्यों मारा बताओ

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न्याय करोगे या हम उठा लें शस्त्र

क्यों मारा हमारे निर्दोष साधुओं को बताओ
उन सन्यासियों की हमें कोई खता तो बताओ
न्याय करोगे या कि हम स्वयं शस्त्र उठा लें
अन्याय कब तक सहें अपमान को कब तक सँभालें
माला जपने वाले क्या भाला उठा लें
क्या साधुओं के आक्रोश से दुनिया को परिचित करा दें
भगवा को आतंकवाद से जोड़ने वालो
आतंकवाद क्या होता है पता चल जाएगा
जरा चारों ओर दुनिया में नजरें घुमा लो
देश का लम्बा इतिहास जरा खंगालो
साधुओं-सन्यासियों ने देश की रक्षा के लिए
बार-बार हैं गुजरे काल में शस्त्र उठाए
सैकड़ों-हजारों दुष्टों के शीश गिराए
वे जिन्होंने सन्यास लेते समय खुद के पिंडदान कर दिए
वे साधु तुम लोगों ने चोर कह कर बदनाम कर दिए
अरे जानते हो तुम भगवा रंग की महानता
दुष्टो दूर करो तुम अपनी अज्ञानता
हिन्दू साधु तुम चोरों की तरह व्यवहार नहीं करता
भारत में धर्मान्तरण का जो गोरखधंधा तुम चला रहे हो
तुम भारत के वातावरण को विषैला बना रहे हो
तुम वामपंथियों और इनके साथियों के अजेन्डे चला रहे हो
भारत को मिटाने का षड़यन्त्र चला रहे हो
देश 1947 तक एक था अब तीन में टूट चुका है
1947 से पहले तक भारत आधा रह चुका था
लेकिन तुम्हारे सीनों में नफरत का ज़हर बढ़ गया है
राजनीति को हथियार बनाकर सेकुलरिज्म के गीत गाकर
तुम जो देशद्रोह कर रहे हो
उसे देश का साधु समाज समझ गया है
दुर्भाग्य से आम भारतवासी भटक गया है
वह धूर्त सेकुलरवादियों के शब्दजाल में फँस गया है
साम्यवादियों के जिहाद में उलझ कर रह गया है
तबलीगी जो आज खुलेआम कर रहे हैं
वह सब कट्टर मुल्ले-मौलवी करते आ रहे हैं
वे भारत के अन्दर कई जेहादिस्तान बनाने की हसरत पाले हुए हैं
अब तो वे खुलेआम यह सब उगल रहे हैं
शाहीनबाग का देशद्रोही फलसफा यही तो था
उसके बाद जो हुआ वह भी यही तो था
पढ़ा लिखा कट्टर मुसलमान शरजील यही तो कर रहा था
ऐ भारत साधुओं के आक्रोश को व्यर्थ जाने न देना
साधु हमारी संस्कृति की रीढ़ हैं यह कदापि भुला न देना।
धन्यवाद।                सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून

 

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