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बिजली परियोजनाओं पर सरकार ने बनाई नीति

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नई दिल्ली । केंद्र सरकार देश में ताप और पन बिजली क्षेत्र में अटकी और वित्तीय दबाव का सामना कर रही परियोजनाओं को पटरी पर लाने की तैयारी में है, जिसके लिए सरकार ने एक नीति बनाई है, ताकि लंबित 11,639 मेगावाट क्षमता की पन बिजली परियोजनाओं को पूरा किया जा सके। केंद्रीय बिजली, कोयला और नवीकरणीय उर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में अपने चारों मंत्रालयों की उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में पिछले सालों से अनेक ताप और पन बिजली क्षेत्र की परियोजनाएं अटकी हुई है, जिन्हें पूरा करने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि देश में तीन साल में बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और सरकार का लक्ष्य आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश के हर घर को रोशन करने का है। केंद्रीय मंत्री ने बिजली क्षेत्र के बारे में सरकार के इरादे से जो संकेत दिये हैं, उससे बिजली परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए सरकार निवेश को बढावा देगी। गोयल ने कहा कि सरकार ऐसी ताप बिजली परियोजनाओं के ऋण संकट के समाधान के नजदीक हैं, जहां परियोजना का विकास कर रही कंपनी ने कर्ज चुकाने के मामले में जानबूझ कर चूक नहीं की है।ष् बिजली मंत्रालय अटकी पन बिजली परियोजनाओं के उद्धार पर भी काम कर रहा है। मंत्रालय कई बैंकों और संबद्ध पक्षों से विस्तृत चर्चा भी कर चुका है। सूत्रों के अनुसार बिजली मंत्रालय कुल प्रस्तावित 11,639 मैगावाट क्षमता की अटकी पन बिजली परियोजनाओं को उबारने के लिए एक नीति तय कर चुका है। इसके लिए 2024-25 तक 16,709 करोड़ रुपए की मदद की जाएगी। इसके अलावा पन बिजली परियोजनाओं को 4 प्रतिशत की ब्याज सहायता भी दी जाएगी। बिजली मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय और नीति आयोग मिल कर अगले 25 वर्ष के लिए एक ऊर्जा सुरक्षा नीति का समौदा तैयार करने में लगे हैं। गोयल ने उम्मीद जताई कि 2022 तक भारत में नवीकरणीय बिजली की स्थापित क्षमता ताप बिजली की स्थापित क्षमता को पार कर जाएगी। उस समय तक देश में नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता 1,75,000 मैगावाट करने का लक्ष्य है।
अधिशेष बिजली वाला होगा भारत
भारत चालू वित्त वर्ष में अधिशेष बिजली वाला देश बन सकता है। अप्रैल में बिजली की किल्लत और व्यस्त समय में बिजली की कमी 1 प्रतिशत से कम रही है। कई राज्यों में बिजली की कमी शून्य रही। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की अप्रैल के लिए ताजा मासिक रिपोर्ट के अनुसार देश में ऊर्जा की कमी आलोच्य महीने में 0.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी माह में 1.4 प्रतिशत थी। पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र में अप्रैल में ऊर्जा की कमी महज 0.1 प्रतिशत रही। हालांकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऊर्जा की कमी 4.5 प्रतिशत जबकि उत्तरी क्षेत्र में यह 1.5 प्रतिशत थी।
बिजली की कमी घटी
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल में देश में व्यस्त समय में बिजली की कमी घटकर 0.8 प्रतिशत पर आ गई। दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में यह 0.1-0.1 प्रतिशत रही। हालांकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यस्त समय में बिजली की कमी अप्रैल में 2.2 प्रतिशत रही। वहीं उत्तरी क्षेत्र में यह 1.8 प्रतिशत थी। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कई राज्यों ने इस वर्ष अप्रैल में ऊर्जा की कमी तथा व्यस्त समय में बिजली की कमी शून्य होने की रिपोर्ट दी है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, त्रिपुरा तथा पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
इन राज्यों में घटी बिजली की किल्लत
जिन राज्यों में ऊर्जा की कमी (ई.एस.) और व्यस्त समय में बिजली की किल्लत (पी.पी.पी.) 1 प्रतिशत तक रही है, वे आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश (पी.पी.डी. शून्य), झारखंड (पी.पी.डी. शून्य) महाराष्ट्र, मेघालय (ई.एस. शून्य) पुड्डुचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना (ई.एस. शून्य) तथा उत्तराखंड (पी.पी.डी. शून्य) शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में अप्रैल में ऊर्जा की कमी 1 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी महीने में 14 प्रतिशत थी। इसके अलावा व्यस्त समय में बिजली की कमी शून्य रही। रिपोर्ट के अनुसार अखिल भारतीय बिजली आपूर्ति यह संकेत देती है कि देश में व्यस्त समय में बिजली अधिशेष 6.8 प्रतिशत तथा ऊर्जा अधिशेष 8.8 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

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