
नैनीताल (संवाददाता)। स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण अभियान में शामिल निमोनिया टीका, तीन डोज लगाई जाएंगी- 18 सौ निमोनिया के रोगी एक साल में मिले- 06 महीने में लगेगा निमोनिया का पहला टीका हल्द्वानी। दीपक पुरोहित जानलेवा निमोनिया से बचाव के लिए सरकार अब हर बच्चे को इसका मुफ्त टीका लगवाएगी। जल्द ही निमोकॉकल कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) को स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण अभियान का नियमित हिस्सा बनाया जाएगा। हर बच्चे को इस वैक्सीन की तीन डोज लगेंगी। इसमें पहली छह हफ्ते, दूसरी 14 हफ्ते और तीसरा बूस्टर डोज नौवें महीने में लगेगा। निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया, फफूंदी और परजीवी से फैलने वाला रोग है। यह श्वांस के जरिए शरीर के भीतर पहुंचकर फेफड़ों को संक्रमित कर देता है। स्ट्रेप्टोकोकस नामक बैक्टीरिया के चलते यह सबसे अधिक फैलता है। बच्चों में सर्दी-जुकाम जल्दी ठीक न होने पर यह धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाता है। निमोनिया की चपेट में आने की संभावना सर्वाधिक बदलते मौसम में होती है। बैक्टीरिया के चलते होने वाला निमोनिया रोग दो से चार सप्ताह में ठीक हो सकता है। मगर वायरल जनित निमोनिया ठीक होने में अधिक समय लग जाता है।बाजार में वैक्सीन की कीमत तीन हजार निमोनिया की पीसीवी वैक्सीन अब तक खुद खरीदकर लगवानी पड़ती थी। निजी अस्पतालों में यह एक वैक्सीन करीब तीन हजार रुपए में लगाई जाती है। मगर अधिकांश बच्चों को यह महंगी निमोनिया वैक्सीन नहीं लग पाती। मगर पर अब हर बच्चे को निमोनिया से बचाव की सुरक्षा मिल पाएगी। 1800 निमोनिया के मरीजबीते साल नैनीताल जिले में 1876 निमोनिया के मरीज सामने आए थे। स्वास्थ्य विभाग का यह आंकड़ा केवल सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का है। मगर निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की निगरानी का कोई सिस्टम नहीं है। इस कारण निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी के सही आंकड़े भी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है।वर्ष निमोनिया मरीज2018 18762017 45252016 65712015 4586बेस में निमोनिया के दो मरीज भर्तीबेस अस्पताल में निमोनिया के दो मरीज मरीज भर्ती हुए। एक टाइफाइड और डायरिया की शिकायत पर आठ मरीज भर्ती किए गए। इसी तरह सुशीला तिवारी अस्पताल में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम के कारण मरीजों की संख्या बढ़ रही है।पीसीवी को टीकाकरण शेड्यूल में शामिल किया गया है। इससे बच्चों को छोटी उम्र से ही जानलेवा निमोनिया से बचाव की क्षमता मिलेगी। अब तक यह वैक्सीन केवल प्राइवेट अस्पतालों में ही लगाई जाती थी, जो काफी महंगी होती थी।- डॉ. अजय शर्मा, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी