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ढोल गँवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी

Tulsidasji



ढोल अगर ढीला हुआ
बिगड़ें सब सुर ताल
गँवार को जो ढील दी 
फैली कटुता बिगड़ा समझो माहौल
शूद्र की हुई जो उपेक्षा बेकद्री 
समाज का सुधरे नहीं हाल-चाल 
पशु को छोड़ दिया बंधन बिना 
तो हरी-भरी फसल का हो जाए काम तमाम 
नारी की देख-रेख से नजर फिरी 
तो कुटम्ब-समाज का निश्चित बंटाधार।
गोस्वामी तुलसीदास ने बताया
ताड़ों यानी समझाओं और देखरेख में जुट जाओ
नारियों-शूद्रों के पिछड़ेपन पर श्री राम से प्रेरणा लेकर 
उनके उद्धार में जुट जाओ 
ढोल तब संगीत बनता है जब वह कसा जाता है 
समाज तब सु-संस्कृत होता है जब वह जागृत किया जाता है।
अनाड़ियो भारत की आत्मा श्री राम को 
रामचारितमानस में जीवंत कर देने वाले कोमल हृदय 
महानतम कवि तुलसीदास को बदनाम कर 
तुम लोग श्री राम का अपमान कर रहे हो
अवधी भाषा में ताड़ना का अर्थ प्रताड़ित करना नहीं 
बल्कि देखरेख करना होता है।
समाज को लय ताल सुर में लाने पर दिया तुलसीदास जी ने जोर 
अनाड़ी अनजान मचा रहे बे-वजह इतना शोर 
राम नाम का अर्थ झुठलाकर कर रहे पाप ये घोर
राम-तुलसी विरोधियो निकालो अपने बेईमान दिलों में बैठा चोर ।

                                            Virendra Dev Gaur

                                                 Chief Editor


 

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