अटल जी राम-कृष्ण प्रदेश (उत्तर प्रदेश) की माटी से बने और सँवरे। पूज्य पिता की नौकरी के चलते ग्वालियर चले गए। इस तरह राम-कृष्ण प्रदेश और मध्य प्रदेश उनके दो फेफड़े बन गए। उनका हिरदय भारत माता बना रहा। भारत भूमि का यह सपूत अदम्य इच्छा शक्ति का स्वामी रहा। धैर्य का मानों अटल हिमालय रहा इनके मन में। इनकी रग-रग में भारत माता के प्रति प्रेम का प्रवाह रहा और हर शब्द माता सरस्वती के आशीवार्द से प्रेरित रहा। राजनीति के फलक पर कविता का व्यवहार उतारने वाले अटल जी अपने नियत सिद्धातों पर अटल रहकर अपना फर्ज निभाने के लिए विख्यात हैं। उनकी कभी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं रही। उनकी देशगत महत्वाकांक्षा उन्हे ताकत देती रही। यही नैतिक ताकत उनकी संजीवनी रही। भारत माता के भक्त और सरस्वती माता के साधक एक पत्रकार के रूप में भी आदरणीय रहे। उनकी एक-एक कविता स्मरणीय है। उनकी हर कविता पाठ्यक्रमों में शामिल होनी चाहिए यथाशीघ्र। उनकी हर कविता अमूल्य है। उनकी हर कविता जीवन का स्पन्दन है। उनकी कविताओं का हर शब्द धड़कती साँस है। इन साँसों को जन-जन तक ले जाना शिक्षा विभाग का भी काम है। सही मायने में अटल जी बरसात के बादलों के पीछे छिपने वाले सूरज नहीं हैं। यह सूरज हमें सदैव अपनी मीठी धूप से समझदारी का विटामिन-डी परोसता रहेगा। यह आशीर्वाद हर नेक भारतीय की अमानत है। अटल जी ने दुनिया को प्रेम से समझाया कि कांग्रेस के बिना भी भारत में सरकारें चल सकती हैं। भारत के नागरिकों को अटल विश्वास दिलाया कि कांग्रेस और इस आदरणीय दल जैसे अन्य दलों के बे-बुनियाद सैकुलरवाद के बिना भी देश को मजबूती से प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ाया जा सकता है। अटल विहारी वाजपेई जी अजेय महारथी के रूप में गंगा पुत्र भीष्म के बाद दूसरे भीष्म कहलाएंगे।
Virendra Dev Gaur (Veer Jhuggiwala)
Chief Editor (NWN)