B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
रक्षा-सुरक्षा नहीं यार, हो जाए यलगार
कभी चंगेज खान
कभी तैमूर लंग
कभी अहमद शाह अब्दाली
और कभी खून का प्यासा नादिरशाह
दरिंदगी भरे आक्रमणों के जिहादी सिलसिले
हमें काफिर कहकर हम पर जुल्मोसितम करते रहे
दुनिया जहाँन को हक़ीकत कौन बताए कौन कहे
जिहाद के नशे में ये आक्रमण होते रहे
इतिहासकार अधिकतर मक्कार रहे
हमें गुमराह करते और ठगते रहे
जिसको तुम लोग पाकिस्तान कहते रहे
उसे हम जिहादिस्तान हैं कहते रहे
सुन लो कश्मीर में जिहाद के कहकहे
जवानों के लहू के कतरे बहते रहे
पर कश्मीर में बैठे कश्मीरी-जिहादी कहते रहे
जिहादिस्तान से बात क्यों नहीं करते
पॉलिटिकल मसला है क्यों नहीं समझते
ये सब जिहादिस्तान के कायर पिट्ठू जिहादी हैं
कश्मीरियत के वेष में इस्लामी जिहादी हैं
इन आस्तीन के साँपों को दूध पिलाना छोड़ दो
भारतीयो कश्मीर के जिहादियों की कमर तोड़ दो
आक्रमणों के इन्तजार वाली अपनी पुरानी लत छोड़ दो
कश्मीर ‘‘सिर्फ और सिर्फ’’ जिहाद का मसला है
यह ‘‘हेट-जिहाद’’ का पुराना खूनी फलसफा है
सीमा के उस पार दूर-दूर तक कब्रिस्तानों के हों सिलसिले
नेस्तनाबूद कर दो जिहादियों के सब किले
देश के रक्षकों की आत्मा को कुछ तो सुकून मिले।
-जय भारत -जय भारत की सेना