संपादकीय

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज उधेड़बुन में लगे हैं। उनकी इस लगन की झलक पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर की घोषणा में साफ दिखाई दे रही है। इसमें दो राय नहीं कि पर्यटन मंत्री का दिमाग और दिल फुर्ती से ऐसी योजनाएं धरातल पर उतारने को बेताब़ है जो उत्तराखण्ड का कायाकल्प करने की क्षमता रखती हैं। पर्यटन मंत्री और पर्यटन सचिव की तेज कार्यशैली बुनियादी तौर पर रंग लाती दिख रही हैं। योजनाओं को बनाना फिर उन्हे अमली जामा पहनाना इस सरकार के लिए बहुत जरूरी है। पर्यटन के क्षेत्र में एक बड़ा शून्य दिखाई दे रहा है जिसे सीमित समय में भरा जाना आवश्यक है। मौजूदा सरकार के पास सोच है, जज्बा है , संसाधन है और दिलीप जावलकर जैसे होश में जोश के साथ काम करने वाले बड़े अधिकारी भी हैं। राज्य में पर्यटन, धर्माटन, रोमांच भरे खेल, रोमांच भरी साहसिक गतिविधियाँ समेत तमाम ऐसी विलक्षण सम्भावनाएं हैं जिन्हे यदि हकीकत में बदल दिया गया तो उत्तराखण्ड का पर्यटन मंत्रालय, प्रधानमंत्री के कार्यालय से अधिक चर्चा में आ जाएगा और देश ही नहीं अपितु विश्व सहम कर रह जाएगा। दिलीप जावलकर के अनुसार एयरो-खेल के लिए नियमावली तेजी से तैयार की जा रही हैं। मान्यवर, यह चारधाम प्रदेश पानी के खेलों, साहसिक खेलों और सामान्य खेलों के लिए अनुकूल रहा हैं। यदि साहसिक खेलों और सामान्य खेलों जैसे कि क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, वालीबॅाल,बैडमिन्टन सहित अन्य खेलों जैसे कि कुश्ती, कबड्डी वगैरह के मामले में पर्यटन विभाग खेल विभाग के साथ तालमेल बनाकर काम करे तो क्या महोदय पर्यटन का विकास नहीं होगा। क्या खेलों के शौकीनों को पर्यटन नहीं भाता। इसके अलावा यदि राज्य देश के चारधामों – रामेश्वरम, द्वारिकापुरी, जगन्नाथपुरी और श्री श्री बदरीधाम के राष्ट्रीय सर्किट के साथ उत्तराखण्ड के चारधाम सर्किट और साथ में अयोध्याधाम और ब्रजमण्डलधाम- इन सबको लेकर धर्माटन का विकास किया जाए तो मान्यवर न केवल उत्तराखण्ड का विकास होगा बल्कि पूरा देश एक सूत्र में और मजबूती से जुड़ जाएगा। यही नहीं इन सर्किटों से क्यों न हम माता वैष्णो देवी और धरती के महान योद्धा-संत गुरू गोविन्द सिंह के महान धाम हेमकुण्ड साहेब सहित पौंटा साहेब, लक्ष्मण सिद्ध, ऋषिकेश का भरत मन्दिर, नीलकंठ महादेव मन्दिर और टपकेश्वर महादेव समेत कलियर शरीफ को भी जोड़ दें। क्या राज्य सरकारेें देश के निर्माण के लिए मिलकर काम नहीं कर सकतीं। उत्तर-प्रदेश यानी ‘रामकृष्ण प्रदेश’ की धार्मिक वैभवता को उत्तराखण्ड की धार्मिक वैभवता से जोड़े जाने का समय आ गया हैं क्योंकि केन्द्र में अखिल भारतीय विकास की सोच रखने वाली सरकार मौजूद है और उधर राम कृष्ण प्रदेश में योगी जी जैसे संन्यासी देश की सेवा में जुटे हुए हैं। मान्यवर, जावलकर जी वैसे आपके दायरे से बढ़कर बात कह दी गई है किन्तु भगवन राष्ट्र की आत्मा तो एक ही होती हैं। वैसे उत्तराखण्ड के लिए अच्छी नीतियाँ बनाने की प्रक्रिया का अहम् हिस्सा होने के लिए आपका साधुवाद। हालाँकि, धर्माटन, पर्यटन, पर्यावरण, हर तरह के खेल और आपदा प्रबंधन जब तक साथ-साथ नहीं चलेंगे तब तक उत्तराखण्ड का पर्यटन विश्व में अपना खास स्थान नहीं बना पाएगा।
Virendra Dev Gaur (Vree Jhuggiwala)
Chief Editor (NWN)