रांची (संवाददाता)। कोर्ट एचसी धनबाद निवासी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर उसकी पत्नी द्वारा शादी के एक साल के भीतर अपने मायके में आत्महत्या करने के बाद मामला दर्ज किया गया था सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत के एक मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने वाले झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया। हाईकोर्ट ने इस आदेश में आपराधिक न्याय प्रणाली की बेहतरी के लिए राज्य के अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति होने के लिए कहा था। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस फैसले पर आपत्ति जताई और सभी हाईकोर्ट को ऐसे मामलों में अनावश्यक रूप से अधिकारियों को तलब करने को लेकर सजग रहने को कहा। पीठ ने बासीर अंसारी नामक उस शख्स को जमानत भी दे दी। पीठ ने कहा, हाईकोर्ट इस मामले के दायरे से बाहर निकल गया। अगर हाईकोर्ट को लगता था कि आपराधिक न्याय प्रणाली की बेहतरी के लिए अधिकारियों को तलब किया जाना चाहिए तो वह उसे जनहित याचिका में तब्दील कर सकता था। कोर्ट एचसी धनबाद निवासी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर उसकी पत्नी द्वारा शादी के एक साल के भीतर अपने मायके में आत्महत्या करने के बाद मामला दर्ज किया गया था सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत के एक मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने वाले झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया। हाईकोर्ट ने इस आदेश में आपराधिक न्याय प्रणाली की बेहतरी के लिए राज्य के अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति होने के लिए कहा था। शीर्ष अदालत 9 अप्रैल और 13 अप्रैल को पारित हाईकोर्ट के दो आदेशों के खिलाफ झारखंड सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और स्वास्थ्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था और उनसे पूछा था कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए?
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