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नेपाल से आया मेरा दोस्त, इसको प्रणाम करो

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राकेश शर्मा, गुलेरिया नेपाल से, संवाद पर अधारित

सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

दोस्त राकेश शर्मा तुम्हारी जुबाँ से तुम्हारा दर्द सुना
तुम्हारे देश नेपाल से तुम्हारा प्यार
भारत देश से तुम्हारा गहरा लगाव जाना-समझा
दोस्त जो भारत-विरोधी देशी-विदेशी ताकतें
भारत के अन्दर कुचक्र रच रही हैं दिन-रात
वही भारत-विरोधी ताकतें नेपाल में जमा चुकी हैं जड़ें
दोस्त समझ रहे हो मेरी कड़वी बात।
कल हिन्दी दिवस था भारत में दोस्त
हिन्दी मेें लिखे तुम्हारे खत से आँखों में आँसू छलक आए
तुमने हिन्दी में जो मेहनत की है दोस्त
वह तुम्हारा तोहफा है लाजवाब हमारे लिए
नेपाल हमारा खास भाई है हमारे लिए।
दोस्त नेपाल की खुशहाली
नेपाल के भाई-बहनों के गालों की लाली
नेपाल और भारत के हाथों की ताली
अगर गूँजे दुनिया में तो होगी बात निराली।
दोस्त तुमने सही कहा
पहले भारत और अब नेपाल
राजनीति से धर्म को बाहर कर
धर्म-निरपेक्ष बन बैठा
यही है दोस्त दुर्भाग्य मेरा-तुम्हारा।
धर्म तो राजनीति की आत्मा है
जिस राजनेता को यह समझ आ गया
दोस्त वही परमात्मा है
धर्मराज युधिष्ठिर की राजनीति धर्म से ओत-प्रोत थी
तुम ज़रूर जानते होगे महान पांडवों के बारे में
भारत और नेपाल को धर्म-सापेक्ष रहना था
लेकिन राजनेता धर्म के दुश्मन बन बैठे
राम को छोड़कर रावण बन बैठे।
दोस्त ‘सच’ धर्म है
‘झूठ और फरेब’ अधर्म है
दोस्त वीरेन्द्र विक्रम शाह जी बहुत अच्छे राजा थे
तभी तो उन्हे उनके परिवार के साथ मौत के घाट उतारा गया था
दोस्त यहाँ भारत में जैसे ही राजीव-गाँधी जी भारत का दर्द समझे
उन्हें समाप्त कर दिया गया
और अब मोदी जी को भारत-नेपाल विरोधी ताकतें
स्वाहा कर देने का कुचक्र चला रही हैं।
दोस्त पूरा भारत और पूरा नेपाल
राजा राम और राजा जनक के जमाने से हिन्दू हैं
जिहादिस्तान(पाकिस्तान) और ड्रैगनिस्तान (चीन) सहित
भारत और नेपाल के अन्दर भारत-विरोधी ताकतें
हिंन्दुत्व को जड़ से मिटाने को बेचैन हैं
किंतु दोस्त हम और तुम जेसे लोग
ऐसी ताकतों को धूल में मिला देंगे
ऐसा तभी होगा दोस्त जब हम लोग
भारत और नेपाल का ‘‘दो जिस्म और एक जान वाला रिश्ता’’ मानेंगे।
-इति

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