नई दिल्ली। NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज ओडिशा में रायरंगपुर के जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना कीं। द्रौपदी मुर्मू को हृष्ठ्र ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं और वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुनाव लड़ने वाली पहली आदिवासी नेत्री होंगी। देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का कीर्तिमान इनके नाम पर पहले ही दर्ज है। 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं। राज्यपाल के तौर पर पांच वर्ष का उनका कार्यकाल 15 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नई नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया था। अपने पूरे कार्यकाल में वह कभी विवादों में नहीं रहीं। झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं। कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया।रांची से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के प्रधान संपादक हरिनारायण सिंह कहते हैं कि वर्ष 2017 में भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की चर्चा हुई थी। दरअसल एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी चौंकाने वाले सियासी निर्णयों के लिए जाने जाते हैं और ऐसे में निर्विवाद राजनीतिक करियर वाली आदिवासी नेत्री द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे आना कतई अप्रत्याशित नहीं माना जाना चाहिए। द्रौपदी मुर्मू के पास राज्यपाल के तौर पर 6 साल से भी ज्यादा के कार्यकाल का बेहतरीन अनुभव है। ऐसे में संभव है कि उनकी उम्मीदवारी से एनडीए पूरे देश को कई मायनों में प्रतीकात्मक संदेश देने की कोशिश कर सकती है।
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