जय जय जय हे भारत भूमि
जय जय जय पावन मातृ भूमि
जय जय जय हिरदय की धड़कन
जय जय जय साँसों की तपन।
चाह मेरी पूरी कर माता
तू ही मेरी भाग्य विधाता
रग-रग में मेरी तेरा प्यार समाता
चरणों में तेरे मैं पल-पल शीश नवाता।
इशारे पर तेरे मैं एक
शीश काट फेंकूँ अनेक
चाह बता माँ फिर देख
समर्पित कर दूँ झट अपना यह शरीर-विवेक।
होंठो पर तेरे सदा नाचे मुस्कान
हम सब तैयार लेकर हथेली पर जान
प्रस्तुत हैं हम हिरदय से ठान
हटने न पाए होठों से तेरी मुस्कान
तू माता हमारी जान
सदाबहार रहे माँ तेरी आन-बान।
Virendra Dev Gaur (Veer Jhuggiwala)
Chief Editor (NWN)