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Manisha Koirala

रणबीर कपूर की मां का रोल नहीं करना चाहती थी : मनीषा कोइराला

Manisha Koirala

बॉलिवुड की बेहतरीन अभिनेत्रीमनीषा कोइराला जल्द ही संजय दत्त की बायॉपिक च्संजूज् में उनकी मांनरगिस दत्त के किरदार में नजर आएंगी। राजकुमार हिरानी के मन में नरगिस के रोल के लिए मनीषा पहली पसंद थीं। इसकी वजह थी कि एक तो मनीषा बेहतरीन अभिनेत्री हैं और दूसरी नरगिस की तरह वह कैंसर जैसी बेहद गंभीर बीमारी से लड़कर बाहर निकल आई हैं। इन दिनों मनीषा संजू के प्रमोशन में जुटी हैं। इस दौरान नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से हुई खास बातचीत में मनीषा ने बताया कि वह खुद से मात्र 10 साल छोटे रणबीर कपूरकी मां का रोल नहीं करना चाहती थीं, लेकिन राजकुमार हिरानी का व्यवहार और उनके काम से वह इतना प्रभावित हो गई थीं कि वह फिल्म में काम करने से मना नहीं कर पाईं।
मनीषा कोइराला ने पूछा, इरफान खान कैसे हैं?
इंटरव्यू की शुरुआत में मनीषा ने सबसे पहले पूछा, च्इरफान खान कैसे हैं। उनकी कोई खबर है आपके पास। हमारे पास इरफान से जुड़ी जो भी जानकारी थी, वह हमने मनीषा को दी, तब उन्होंने कहा, च्मुझे लगता है, ऐसे समय में सबसे बड़ी दवाई, दुआओं की होती है। आज मैं आपके सामने बैठी हूं और अच्छा काम कर रही हूं, यह सब दुआओं की ताकत है।ज्
फिल्म संजू से कैसे जुडऩा हुआ?
मैं उन दिनों नेपाल में थी, एक दिन मेरे मोबाइल में राजकुमार हिरानी का फोन आया। मोबाइल की स्क्रीन में राजकुमार हिरानी का नाम देखकर मैं उछल पड़ी। फोन उठाया तो राजू ने बताया कि वह संजय दत्त की बायॉपिक बना रहे हैं और मुझे नरगिस दत्त के रोल में लेना चाहते हैं। मैंने उन्हें कहा कि मुंबई आकर मिलती हूं आपसे, फिर बात करते हैं। हिरानी का फोन आने पर मैं जितनी खुश थी, फोन रखने के बाद मैं उतनी ज्यादा दुविधा में थी। राजू ने मुझसे मात्र 10 साल छोटे रणबीर कपूर की मां का रोल ऑफर किया था। मैं किसी भी हालत में रणबीर की मां का रोल नहीं करना चाहती थी।
मन में सोचा था, प्यार से इस रोल के लिए मना कर दूंगी
मैंने ने मन ही मन में सोच रखा था कि मुंबई जाकर राजू से मिलूंगी और बहुत प्यार से इस रोल को करने से मना कर दूंगी। दिमाग में अलग-अलग खयाल आ रहे थे। राजकुमार हिरानी जैसे इंडस्ट्री के सबसे बड़े डायरेक्टर ने मुझे फिल्म ऑफर की और मुझे यह रोल नहीं करना। राजू के साथ काम तो करना था, लेकिन मां का रोल। बेहद बेचैनी और दुविधा के साथ मैं मुंबई पहुंची और राजू से मिली। राजू का बेहतरीन और विनम्र व्यवहार देख और महसूस कर मेरे मन में पॉसिटिव खयाल आए। राजू ने फिल्म का नरेशन दिया, कहानी सुनकर मैं संजू में काम करने से मना नहीं कर पाई। मैं यह कह सकती हूं राजू के बेहतरीन व्यवहार की वजह से मैंने फिल्म में काम कर लिया, वरना रणबीर की मां का रोल करने का कतई मन नहीं था।
कई दिनों तक मेरा लुक टेस्ट हुआ
एक और हिचक यह थी कि नरगिस जी की यादें आज भी लोगों के जहन में एकदम फ्रेश हैं। क्या मैं लोगों के मन में बसी नरगिस जी की उन यादों में खरी उतर पाऊंगी, लेकिन राजू ने मेरे सभी सवालों और दुविधा का इलाज पहले से ढूंढ लिया था। उन्होंने तमाम रिसर्च, डॉक्युमेंट्री और किताबें मेरे सामने रख दी थीं। फिल्म में मेरा रोल भी सीमित था, आखिरकार सारी दुविधा खत्म हो गई थी। अब लुक टेस्ट की बारी थी कई दिनों तक मेरा लुक टेस्ट हुआ। अलग-अलग मेकअप, हेयर स्टाइल सहित लुक पर खूब काम हुआ। सामने नरगिस जी की तस्वीर रख और विडियो देखने और समझने के बाद फाइनल लुक तय किया गया, जो आप लोगों ने फिल्म के पोस्टर और एक गाने में देखा है।ज्
अपने रोल के बारे में…
फिल्म में मेरे किरदार की कहानी वहां से शुरू होती है, जब पहली बार नरगिस जी का कैंसर डिडेक्ट होता है। फिल्म में मेरे दो से तीन सीन और एक गाना है।
उस वजह से मैं नरगिस जी जैसी लगने लगी थी
जब सारी रिहर्सल और प्रिपरेशन करने के बाद सेट पर गई तो मुझे बहुत अच्छा लगा। सेट पर रणबीर से मिली और उनके साथ काम किया तो पता चला कि रणबीर बेहतरीन अभिनेता है। अगर आपको अच्छा परफॉर्म करना है, तो आपके सामने वाला आर्टिस्ट भी बेहतरीन परफॉर्मर होना चाहिए और रणवीर के साथ काम करते हुए मुझे अपना रोल मजबूत लगने लगा। जब रणबीर बिल्कुल संजय दत्त जैसे लग रहे थे तो वह असर मुझपर भी हो रहा था और उस वजह से मैं नरगिस जी जैसी लगने लगी थी।
फिल्म का सबसे ज्यादा प्रेशर रणबीर कपूर पर है
देखिए फिल्म में जो मेरा रोल है, वह स्पेशल अपियरेंस है। मैं पूरी पिक्चर में नहीं दिखाई दूंगी। यह फिल्म संजू के किरदार पर बेस्ड है, इसलिए फिल्म का सबसे ज्यादा प्रेशर रणबीर कपूर पर है।
ट्रेलर देखने के बाद 2 दिन तक सन्न रह गई थी
इस फिल्म में काम करने के बाद मुझे पता चला कि संजय दत्त के बारे में हम जितना जानते थे, उनकी तकलीफों को जितना समझते थे, वह उससे कहीं ज्यादा तकलीफ में थे। मैं ट्रेलर देखने के बाद 2 दिन तक सन्न रह गई थी। मैं सोच रही थी कि संजय ने यह सब कैसे सहा होगा।
लोग नई कहानियों को बनाने और नए प्रयोग करने का रिस्क ले रहे
मुझे ऐसा लगता है कि यह जो समय चल रहा है, वह भारतीय सिनेमा के लिए बहुत अच्छा है। इस समय दर्शक भी अलग-अलग कहानियां देखना चाहते हैं। इन दिनों बॉलिवुड की परंपरा के हिसाब से फिल्में नहीं बन रही है, बल्कि अलग-अलग कहानियां और अलग-अलग सोच के हिसाब से फिल्में बन रही हैं। लोग नई कहानियों को बनाने और नए प्रयोग करने का रिस्क भी ले रहे और कामयाब भी हो रहे हैं। यही सफलता उन्हें और हौसला भी दे रहा है। बॉलिवुड आज एक अलग लेवल पर पहुंच गया है। फिल्म बनाने वालों, लिखने वालों के साथ-साथ दर्शकों की सोच में भी बदलाव आया है।
आने वाले समय में मुझे मजेदार रोल्स में देखेंगे
इन दिनों जो भी काम मुझे ऑफर हो रहा है, वह बहुत इंटरेस्टिंग और अच्छे रोल्स हैं। मैं यह बता नहीं पाऊंगी कि किस तरह की कहानियों और किन निर्देशकों के साथ काम करने वाली हूं, लेकिन इतना जरूर है कि अब दर्शक आने वाले समय में मुझे मजेदार रोल्स में जरूर देखेंगे।
मैं अच्छी कहानियों से जुडऩे के लिए भाषा को आड़े नहीं आने दूंगी। आज रीजनल फिल्में भी इतनी अच्छी बनाई जा रही हैं कि ऑस्कर तक जा रही हैं। मैं सभी तरह की फिल्मों में काम करने के लिए तैयार हूं। बस मुझे स्ट्रांग स्क्रिप्ट, अच्छा निर्देशक और मजेदार रोल मिलना चाहिए। अब चाहे वह रीजनल फिल्म ही क्यों न हो, मैं अच्छी कहानियों से जुडऩे के लिए भाषा को आड़े नहीं आने दूंगी। मैंने पहले भी बंगाली, तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम किया है। वैसे मैं हमेशा से लकी रही हूं कि मुझे अच्छी कहानियां और अच्छे डायरेक्टर के साथ स्ट्रांग रोल मिलते रहे हैं। मेरी पहली फिल्म नेपाली थी। वह बहुत खास फिल्म नहीं थी। उस फिल्म को मैंने बचपन में कर लिया था। अब तो मैं नेपाली भाषा में भी अगर कोई अच्छी कहानी आएगी तो कर लूंगी।

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