डीएम दीपक रावत जी
आपका हरिद्वार की जेल में
क़ैदी मातृशक्ति के साथ
रक्षाबंधन का जो उत्सव देखा
वह रामायण और गीता का तिलक बनकर
माथे पर छप गया
हर-हर गंगे का मानो
अमृत मैं छक गया ।
आईएएस का गढ़
ऐसी मानवीय संवेदना का बन जाए भण्डार
देश के उद्धार के लिए जाग जाए यह परिवार
तो भ्रष्टाचार के राज में मच जाए हाहाकार
बेईमान नेताओं का पलों में
मिट जाए अँधेरा संसार।
जेल की कैदी माताओं-बहनों को
बहन का मान-सम्मान देकर
उनके लिए फिल्म का गाना गाकर
आपने जता दिया और बता दिया
एक आईएएस भी हो सकता है साधु
मन हो सकता है उसका मुनि
कर्म का हो सकता है वह धनी
आह! काश अधिकारी आपसे ज्ञान पा पाते
ओछी राजनीति के माहिरान धर्म अपना समझ पाते
राष्ट्र में पग-पग पर प्रगति के दीपक जगमगाते
अन्याय के अँधेरे मिट जाते।
Virendra Dev Gaur (Veer Jhuggiwala)
Chief Editor (NWN)