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sangam prayaraj

भारत जीवन-दर्शन का अनूठा राज, कुम्भ मेला प्रयागराज (योगी जी के प्रिय विरोधियों के लिए कविता)

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B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

भारत की धड़कनों का मेला है प्रयागराज कुम्भ मेला

भारत की विराट आध्यात्मिक धरोहर
कम से कम दस हजार बरसों की संचित संस्कृति मनोहर
गंगा यमुना और भूमिगत सरस्वती का बहता पवित्र संगम-सरोवर
साधू-सन्यासियों वैरागियों संतों गृहस्थियों का मधुर-मिलन घाटों पर
वेदों उपनिषदों अरण्यकों रामायण और गीता की धुन में गुनगुनाती लहरों पर
उतर आता है साक्षात स्वर्ग स्वयं मोहित होकर धरती पर
बारह बरसों की लम्बी प्रतीक्षा का अनोखा विस्फोटक ओजस्वी स्वर
आपने तो तीन माह के लिए रच डाला एक नया प्रयागराज दिन-रात हे योगेश्वर
आपके भगीरथ-मनोरथ और भरत जैसी तपस्या पर हर्षाते होंगे मन ही मन परमेश्वर।
कहते हैं लोग धरती और आसमान मिलते हैं क्षितिज पर
सच तो यह है पूरा भारत एक चुम्बक से खिंचा आता है जहाँ पर
संसार पूरा का पूरा सिमट कर एकसार हो जाता है जहाँ पर
विश्व कुटुम्बकम का भारत का वैदिक मूल-मंत्र साक्षात सजीव हो उठता है जहाँ पर
महान ‘‘ राम-कृष्ण प्रदेश ’’ भारत का सुशोभित है जहाँ पर
इसी महान ‘‘ राम-कृष्ण प्रदेश ’’ की सेवा का सौभाग्य जिसे मिला है यहाँ पर
इसी दुर्लभ प्रदेश का हृदय-स्थल छलछला रहा है चलायमान महासंगम बनकर
हिमालय में बिराजमान ‘‘ बदरी-केदार प्रदेश ’’ से हिम की धारा गंगा-यमुना बनकर
तब जाकर प्रयागराज का विश्व प्रसिद्ध महाप्रयाग बनता है मिलकर
हे योगी धन्य-धन्य तेरा हठयोग भरा सदी का पहला बड़ा अनुष्ठान
हे योगी किसी भीष्म प्रतिज्ञा से कम नहीं इसकी अपार सफलता का अनुमान
हे त्रिवेन्द्र ‘‘ राम-कृष्ण प्रदेश ’’ और ‘‘ बदरी-केदार प्रदेश ’’ होंगे दो प्रदेश, पर एक जान
हे देश विश्व को जताना चाहता है अपनी ‘‘अपराजेय नैतिक ताकत’’ तो श्रीराम मन्दिर निर्माण की ठान।

                                                          -जय भारत

(11 जनवरी को यही कविता अंग्रेजों की भाषा मे और 12 जनवरी को विश्व  के क्रांतिकारी  महान ओजस्वी संत स्वामी विवेकानन्द पर अंग्रेजों की भाषा मे कविता)

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