B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
हिन्दू करवाता अपनी जग हँसाई, मुसलमान ने अड़ंगी लगाई
अरे मुसलमान
प्यारे मेरी मान
मोहम्मद अली जिन्नाह जैसी
जिहादी जिद्द मत ठान
वह तोड़ ले गया एक पूरा देश
तू छोड़ दे कोर्ट कचहरी की हेकड़ी भरी रेस
एक जमीन के टुकड़े का तेरा बेहूदा बहाना
गुमराह कर दिया तूने पूरा जमाना
मत बन तू तालिबानी जालिमाना
इस्लाम के पैदा होने से पहले पूरा जमाना
रहा है श्री राम का दीवाना-मस्ताना
जिसने भी यह राज जाना
वही ठहरा समझदार जग ने यह माना।
मक्का-मदीना में रहा कभी शिव के भक्तों का ठिया-ठिकाना
समझ नहीं आ रहा क्यों छिपा रहा यह सच जमाना
श्री राम और श्री शिव का संयोग बेकार है छिपाना
अगर मक्का-मदीना में ठोक दे दावा अपना कोई दीवाना
तो तेरी आँखें मुसलमान बन्धु बन जाएंगी जलते अंगारों का ठिकाना
अयोध्या में उसी जमीन के टुकड़े को तू कहता तुझे छाती से है लगाना।
सन 1200 से पहले आज के उत्तर भारत में
बल्कि आज के पूरे भारत में
एक मुसलमान नहीं था गिनाने को
पृथ्वीराज चौहान नाम की चट्टान गिरने के बाद
मुसलमान होने लगा यहाँ आबाद
लुटेरे चंगेज खान और वहशी तैमूर लंग की रही वंश बेल
कहलाया बाबर जिसने खेला जिहाद का खेल
मीर बाकी को भेजकर 1528 में ढहाया श्री राम मन्दिर
करने को हिन्दू का मस्तक नीचा कहकर काफिर
मत बन रे मुसलमान तू बाबर-औरंगजेब की औलाद कातिलाना
अब यही देश तेरी माता तेरा असली ठिकाना।
ये जो सुप्रीम कोर्ट के रंगमंच पर
आँख मिचौली का खेल चल रहा
बच्चों को बहलाने का जैसे
बचकाना खेल हो चल रहा
हिन्दू की दरियादिली और नादानी दोनों का
देश सदियों से खामियाजा भुगत रहा
हाय राम, हे राम और ‘‘रामनाम सत्य है’’ जैसे बोल
रह गए बनकर गलियों में बजते ढोल
नादानी और लापरवाही में
हिन्दू अपनी कमजोरी के रहस्य और मत खोल
छला जाता रहा है तू अब अपनी आँखें दोनों खोल।
-जय भारत