
देहरादून (संवाददाता)। नकली शराब या निम्न गुणवत्ता वाली शराब की झटपट जांच के लिए आबकारी विभाग ने गैस क्रोमेटोग्राफ मशीन खरीदी है। हालांकि, मशीन के पार्ट्स अभी देहरादून न पहुंच पाने के चलते प्रयोग शुरू नहीं किए जा सके हैं। विभाग के अनुसार पार्टस कस्टम में फंसे हैं और इन्हें स्वीकृति मिलने में कुछ दिन का समय लग जाएगा। रुड़की में जहरीली शराब के कारण दर्जनों लोगों की मौत हुई थी और शराब के ठेकों में भी कई दफा निम्न गुणवत्ता की शराब की शिकायत मिलती रहती है। शराब की जांच के लिए विभाग के पास प्रयोगशाला जांच की व्यवस्था है, मगर मैनुअली जांच होने के चलते इसमें काफी समय लग जाता है। इसके अलावा इस जांच के सौ फीसद सटीक होने को लेकर भी सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। यही कारण है कि अब आबकारी विभाग ने शराब की जांच की व्यवस्था को ऑटोमैटिक करने का निर्णय लिया है। विभाग के संयुक्त आयुक्त टीके पंत के मुताबिक गैस क्रोमैटोग्राफ (जीसी) मशीन की लागत करीब 30 लाख रुपये है और इससे कुछ ही मिनटों के भीतर परिणाम सामने आ सकेंगे। इसके संचालन के लिए विभाग के पास तकनीकी स्टाफ भी है, लिहाजा प्रयोग में कोई दिक्कत भी नहीं आएगी। गैस क्रोमेटोग्राफी विधि से शराब की जांच करने में अधिक मात्रा की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। क्योंकि अब तक की विधि में कम से कम शराब की 375 मिलीलीटर मात्रा की जरूरत पड़ती है और कई मामलों में पर्याप्त मात्रा में शराब उपलब्ध न होने के कारण जांच में समस्या आती है। ठेके से ली गई शराब की गुणवत्ता पर शक होने पर लोग तब शराब को लेकर आते हैं, जब बोतल में बहुत कम मात्रा बची होती है। अब नई तकनीक में ऐसी कोई समस्या नहीं रहेगी। आबकारी अधिकारियों ने बताया कि गैस क्रोमेटोग्रोफ मशीन की खरीद के लिए पहले विभिन्न स्तर पर सर्वे किया गया और उसके परिणाम देखे गए। जब यह स्पष्ट हो गया कि मशीन के परिणाम सौ फीसद हैं, तब इसकी खरीद को हरी झंडी दी गई। रुड़की क्षेत्र में फरवरी माह में जहरीली शराब पीने से हुई 45 लोगों की मौत के मामले गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग ने काम शुरू कर दिया है। इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव एनएन नपलच्याल ने जांच शुरू करते हुए जनसामान्य से भी प्रकरण से संबंधित जानकारी देने की अपील की है। आयोग के सचिव अपर आबकारी आयुक्त एआर सेमवाल की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति घटना के संबंध में जानकारी देना चाहते हैं तो उन्हें लिखित वकतव्य के साथ 10 रुपये का स्टांप पेपर भी प्रस्तुत करना होगा। इसके अलावा घटना से इतर किसी तरह के सुझाव देने के लिए शपथ पत्र की बाध्यता नहीं होगी। हालांकि, यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी नकली शराब प्रकरण में अपनी आख्या या जानकारी साझा करना चाहते हैं तो उन्हें भी 10 रुपये का स्टांप पेपर प्रस्तुत करना होगा। इस तरह की तमाम जानकारी या साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए मंगलवार से 21 दिन का समय दिया गया है। यह जानकारी आयोग के कार्यालय (फिलहाल आबकारी मुख्यालय) में भेजी जा सकती है या आयोग के सचिव अपर आयुक्त के समक्ष उपस्थित होकर भी दी जा सकती है। इसके बाद आयोग अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर शासन को सुपुर्द करेगा। आयोग को यह अधिकारी भी दिए गए हैं कि वह प्रकरण की जांच में जरूरत पडऩे पर किसी भी विभाग के कार्मिक लिखित, मौखिक साक्ष्य देने व अभिलेख देने के लिए वारंट जारी कर तलब कर सकेगा। एकल सदस्यीय आयोग प्रकरण के संबंध में जांच रिपोर्ट तैयार करने के साथ अवैध शराब या शराब के अवैध कारोबार रोकने के लिए सुझाव भी देगा। इन निम्न बिंदुओं पर सुझाव देने के लिए शासन ने आयोग को कहा है।
The National News
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