
होली का आया त्योहार
लाया सबके लिये रैबार
मन में छिपी बैठी बुरी होलिका बचने न पाए इस बार
खींच निकालो पापों की गठरी होलिका, खोल दो मन के द्वार
जला दो झोंक दो आग की लपटों में बारम्बार
कर लो पावन होली में खुद को इस बार
भारत माता को दो उपहार
जीत का पहनाओ माता को हार
बोलो होलिका जल मरी पूरी की पूरी इस बार
फिर पावन मन के छेड़ो तार
बोलो राम बोलो श्याम बार-बार
भारत माता की जय-जयकार
होली नहीं जाए बेकार इस बार
ऐबों से पा लो मुक्ति इस बार
फिर देखो उज्ज्वल जीवन की धार
आओं ऐसी होली खेलें भारतवासियो मिलकर इस बार।
Virendra Dev Gaur
Chief editor (NWN)
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