
B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
Mob.9528727656
चौकीदार
भारत बदल रहा
इतिहास रच रहा
शांति के दुश्मन को
उसके घर में घुसकर
चुन-चुन कर मसल रहा
भारत बदल रहा
इतिहास रच रहा।
जग कह रहा
अंदाज दिख रहा
हवा का रुख बदल रहा
‘‘सहते रहने’’ का बूढ़ा मन जवान हुआ
‘‘जैसे को तैसे’’ का शुभ आरम्भ हुआ
धीरज वीरता और न्याय का प्रारम्भ हुआ।
ये कैसे हुआ
ये क्या हुआ
ये कैसी है दवा
क्यों बदली ये हवा।
राजनीति से ऊपर उठकर
खुद की भलाई को तजकर
डटकर अंगारों पर चलकर
जो भी काम करेगा
वही जग में भारत का नाम करेगा।
जिसने खुद को दिया खास उपहार
माना खुद को चौकीदार
उससे ठाने बैठो हो तुम रार
गाली-गलौज घटिया तकरार
मान लो अपनी नैतिक हार
ये कोई ऐसा-वैसा नहीं चौकीदार
ये तो ‘‘मन का संन्यासी’’ खासा दमदार
छप्पन इंची छाती का ‘‘जायज हकदार’’
छोड़ो भूल जाओ अब ‘‘आर और पार’’
चलो हम सब भी चलें उस राह
जिस पर तनकर चल रहा यह चौकीदार।
जय भारत जय जवान जय किसान