नई दिल्ली । भारत और पाकिस्तान तनाव कम करने के लिए एक ऐसे प्रस्ताव पर बात कर रहे हैं जिसके तहत 20 डॉक्टरों की टीम पाकिस्तान जाएगी। डॉक्टर वहां जेलों में बंद भारतीय बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और दिमागी रूप से बीमार कैदियों की जांच करेंगे। दोनों देशों के बीच इस पर आम राय बनने के बाद से ये कैदी स्वदेश वापसी का इंतजार कर रहे हैं। दोनों देशों में डॉक्टरों को वीजा देने को लेकर चर्चा चल रही है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान सभी डॉक्टरों को वीजा देने को तैयार नहीं है। भारत ने तनाव कम करने के लिए इस मामले पर प्रयास तेज कर दिए हैं। इस बीच, दोनों देशों के राजनयिकों की ओर से परेशान किए जाने के आरोप भी लगाए गए हैं। भारत ने चार शर्तें रखी हैं, इसमें भारत के राजनयिकों को परेशान करने पर रोक लगाना, उच्चायुक्त अजय बिसारिया को इस्लामाबाद से बाहर जाने की अनुमति देना, इस्लामाबाद में भारतीय रेजिडेंशल कॉम्प्लेक्स बनाने और भारतीय डिप्लोमैट्स को इस्लामाबाद क्लब की सदस्यता देना शामिल है। भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह भारतीय वेबसाइट्स को ब्लॉक कर रहा है। यह आवश्यक है कि भारत सरकार बीमार कैदियों का परीक्षण करवाने के बाद उन्हें स्वदेश लाने की प्रक्रिया शुरू करे। अक्टूबर 2017 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सोहेल महमूद के बीच चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया था। सुषमा स्वराज ने मानवीय आधार पर प्रस्ताव रखा था कि दोनों देश बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और दिमागी रूप से बीमार कैदियों को एक दूसरे को सौंप दें। 7 मार्च को सूचना मिली की पाकिस्तान की तरफ से इस प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी गई है। दोनों देशों ने पिछले कुछ हफ्तों में अपने डिप्लोमैट्स के साथ दुर्व्यवहार होने की शिकायत की है। पाकिस्तान चाहता है कि दिल्ली और इस्लामाबाद में शांतिपूर्वक निर्माण कार्य करवाने के लिए भारत प्रोटोकॉल पर साइन करे। सूत्रों के मुताबिक क्लब मेंबरशिप के मामले में इस्लामाबाद कोई समझौता नहीं करने वाला है।
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