
देहरादून (संवाददाता)। भाजपा सरकार के खिलाफ विधानसभा घेराव कर हंगामा करने के दस साल पुराने मामले में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत चार नेताओं के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए गए हैं। इस मामले में 21 नेताओं के खिलाफ न्यायालय में पूर्व में चार्ज फ्रेम कर चुके हैं। गैर जमानती वारंट जारी होने पर गुरुवार को मंत्री हरक सिंह रावत, विनोद रावत, शंकर चंद रमोला और सतपाल ब्रह्मचारी न्यायालय पेश हुए तो इनके खिलाफ भी चार्ज फ्रेम कर दिए गए। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और सुबोध उनियाल कांग्रेस में रहते हुए 20 दिसंबर 2009 को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा कूच कर रहे थे। उस दौरान पुलिस ने उन्हें रिस्पना पुल पर रोक लिया। उनकी पुलिस से धक्का-मुक्की हुई और प्रदर्शन किया था। मामले में 25 लोगों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। दो बार सरकार ने कोर्ट में मुकदमा वापस लेने का प्रार्थना पत्र दाखिल किया। कोर्ट ने इंकार कर दिया। इसके बाद कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य सहित 20 नेताओं के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए गए थे। वहीं पांच नेताओं के पेश ना होने पर पत्रावली अलग से बनाई गई थी। इन पांच नेताओं (कैबिनेट मंत्री हरक सिह रावत, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, सतपाल ब्रह्मचारी, विनोद रावत और शंकर चंद रमोला) को बीते 27 मई को सीजेएम कोर्ट में पेश होना था। इनमें किशोर उपाध्याय न्यायालय में पेश हुए। उनके खिलाफ न्यायालय ने चार्ज फ्रेम कर ट्रायल के लिए पत्रावाली अलग कर दी थी। वहीं न्यायालय में पेश न होने पर हरक सिंह रावत, सतपाल ब्रह्मचारी, विनोद रावत और शंकर चंद रमोला का गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। गैर जमानती वारंट को पुलिस एक महीने में तामिल नहीं करा पाई। अधिवक्ता दीपक गुप्ता ने बताया कि गुरुवार को चारों नेता खुद सीजेएम न्यायालय में पेश हुए और अपना वारंट निरस्त कराया। इस दौरान न्यायालय ने चोरों नेताओं के खिलाफ चार्ज भी फ्रेम कर दिए हैं। जल्द ही न्यायालय में चार्ज पर ट्रायल चलेगा।