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सुप्रीम कोर्ट के लिए अनैतिक समलैंगिकता मायने रखती है आदर्श समाज के प्राण श्रीराम नहीं

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सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

भाग-1

ऐ विश्व हिन्दू परिषद
सुन ले दो टूक
सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा
बहुत बड़ी है चूक।
फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट का देखो
खा रहा है धूल
सुप्रीम कोर्ट का मुँह ताकना
बहुत बड़ी है भूल।
निजी आजादी के नाम पर
समलैंगिकता की अनैतिक कानूनी छूट
इनके ऐसे अनैतिक फैसलों से
समाज की कमर जाएगी टूट।
ऐसे घटिया मामले
इनके लिए मुद्दा नम्बर वन
देश का माहौल बिगाड़ने के लिए
फैसले लेते हैं ये दनादन।
आक्रमणकारी मुसलमानों और अफगानों की
पाँच सौ सालों की
गुलामी में रहे हम
1528 में बाबर के श्रीराम पर हमले ने
निकाल दिया था देश का दम।
गऊ माता का
चाव से खाते हैं जो मांस
समलैंगिक शादी का फैसला देकर
खुश होकर छाती फुलाकर
करते हैं जो डांस
ऐसे विक्षिप्त लोगों के हाथों
श्रीराम के पक्ष में फैसले का
नहीं है कोई चांस।
क्षमा शोभती
उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो,
रामधारी सिंह दिनकर की
इस कविता को रखो याद
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जीत पर
छोड़ दो देना एक दूसरे को दाद।
महान योगी जी लगा चुके
एड़ी चोटी का जोर
भले मानस रवि शंकर प्रसाद जी की
पुरानी हो गई भोर
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कानून बनाकर
श्रीराम मन्दिर बनाने का शोर
अरे राम भक्त हिन्दुओ क्या हम हैं कोई चोर।
संविधान और कानून की पगडंडियों में
श्रीराम मुद्दे को भटकाना छोड़ दो
श्रीराम संविधान के ऊपर हैं
इस असलियत पर जोर दो
पूरी अयोध्या उनकी है
जिनकी सन् 1206 से पहले थी
लुटेरे आक्रमणकारियों की पैरवी करने वाला
लुटेरे बाबर का पैरोकार है
लानत है हम पर राम भक्त हिन्दुओ
लगता है दिल्ली में मुगलिया सल्तनत बरकरार है।

                                               -इति


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