आपकी धन-लोलुपता
आपकी उम्र के साथ-साथ
बढ़ती जा रही है बे-लगाम
अब धीमे-जहर का
बरपा रहे हो कहर
इसीलिए बनाते हो लोगोें को करोड़पति
क्या आपका विवेक
अशर्फियों पर गया है ठहर
कम से कम इस उम्र में तो
करो देश-प्रेम के काम
मत करो धीमे ज़हर के विज्ञापनों द्वारा
देश के नौजवानों का काम तमाम
क्या यही है देश के प्रति
आपकी और आपकी पत्नी की
समाजवादी जिम्मेदारी
अरे! रूपहले पर्दे के शेर-शेरनियो
तुम सबको है
पैसा-प्रेम की लाइलाज बीमारी।
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव)
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