सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
मैडम कुछ माह पहले की बात है
राज्य सरकार का संवैधानिक संरक्षण प्राप्त
इसी नारी निकेतन में
पड़ा था दिल-दहला देने वाला डाका
जिसमें किसी नारी के शरीर का
नहीं हुआ था खून
जिसमें धन-सम्पत्ति की नहीं हुई थी
कोई लूट-पाट या हानि।
मैडम राज्यपाल जी
राज्य के संवैधानिक मुखिया जी,
उस रूह को कँपकँपा देने वाली डकैती में
डाकू घुड़सवार नहीं थे
दनादन गोलियाँ नहीं चली थीं
भाला-बरछी या तलवारें नहीं खिंची थीं।
मैडम वह डकैती
नारी निकेतन की अस्मिता पर पड़ी थी
बे-आबरू हुआ था नारी निकेतन
नारी की आत्मा का हुआ था खून
नारी का अर्थ समझने वाले
हुए थे बुरी तरह लहूलुहान।
मैडम, डाकू चम्बल से नहीं आए थे
सभी डाकू घर के भेदिए थे
सरकार की छत्रछाया में थे
नारी निकेतन के पहरेदार थे।
मैडम इतना कहर बरपा था
नारी निकेतन की नारियों पर
किन्तु किसी डाकू का बाल तक नहीं हुआ बाँका
तब की सरकार ने त्रासदी को था आँका
महोदया, जाँच के नाम पर संगीन जुर्म को था ढाँपा।
मैडम, नारी निकेतन
नहीं रहा सुरक्षित उनके लिए
जिनके लिए इसका जन्म हुआ
कैसे चुप रहें और कहें
जो हुआ सो हुआ
किसे दें इस संगीन जुर्म की बददुआ।
मैडम, सबने माना हुआ घनघोर अत्याचार
क्यों थी और क्यों है लाचार
इनकी संवैधानिक संरक्षक सरकार
भले ही मौन है हाहाकार
किन्तु दर्ज करते हैं हम अपना प्रतिकार
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ वाली है सरकार
मैडम, आपसे लगा रहे हैं हम न्याय की गुहार।