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बैडमिंटन में पीवी सिंधु कांस्य पदक लाई , भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई

Tokyo Olympics 2020। बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू ने लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीता और पुरुष हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में जगह बनाकर 41 साल बाद पदक की तरफ कदम बढ़ाये जिससे तोक्यो ओलंपिक खेलों में रविवार का दिन भारत के लिये ऐतिहासिक बन गया। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन छठी वरीय पीवी सिंधू ने रविवार को यहां चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से हराकर महिला एकल स्पर्धा का कांस्य पदक जीता और ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। इसके बाद पुरुष हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया जहां उसका सामना विश्व चैंपियन बेल्जियम से होगा। भारत ने इससे पहले हॉकी में अपना आखिरी पदक 1980 में मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था। तब मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे और शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुकाबला हुआ था। इस तरह से भारत 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा। सिंधू के कांस्य पदक से भारत के टोक्यो ओलंपिक में पदकों की संख्या दो हो गयी है। इससे पहले भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने रजत पदक जीता था। भारत अभी पदक तालिका में संयुक्त 59वें स्थान पर है। सिंधू से पहले दिग्गज पहलवान सुशील कुमार बीजिंग 2008 खेलों में कांस्य और लंदन 2012 खेलों में रजत पदक जीतकर ओलंपिक में दो व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। सिंधू ने कांस्य पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘मैं काफी खुश हूं क्योंकि मैंने इतने वर्षों तक कड़ी मेहनत की है। मेरे अंदर भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा था- मुझे खुश होना चाहिए कि मैंने कांस्य पदक जीता या दुखी होना चाहिए कि मैंने फाइनल में खेलने का मौका गंवा दिया। उन्होंने कहा,च्च्मैं सातवें आसमान पर हूं। मैं इस लम्हें का पूरा लुत्फ उठाऊंगी। मेरे परिवार ने मेरे लिए कड़ी मेहनत की है और काफी प्रयास किए जिसके लिए मैं उनकी आभारी हूं। बिंग जियाओ के खिलाफ १६ मैचों में यह सिंधू की सातवीं जीत है जबकि उन्हें नौ मुकाबले में शिकस्त झेलनी पड़ी। इस मुकाबले से पहले सिंधू ने बिंग जियाओ के खिलाफ पिछले पांच में से चार मुकाबले गंवाए थे। सिंधू को सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। भारतीय हॉकी टीम की जीत में गोलकीपर पी आर श्रीजेश की भूमिका अहम रही। उन्होंने कई शानदार बचाव किये। भारत की तरफ से दिलप्रीत सिंह (सातवें), गुरजंत सिंह (16वें) और हार्दिक सिंह (57वें मिनट) ने गोल किये। ग्रेट ब्रिटेन की तरफ से एकमात्र गोल सैमुअल इयान वार्ड (45वें) ने किया। भारत ने मध्यांतर तक 2-0 की बढ़त बना रखी थी। इसके बाद दूसरे क्वार्टर के शुरू में ही हार्दिक ने ब्रिटिश खिलाड़ियों से गेंद छीनी। इसे उन्होंने गुरजंत की तरफ बढ़ाया जिन्होंने उसे खूबसूरती से गोल के हवाले किया। श्रीजेश ने 44वें मिनट में रक्षण के अपने कौशल का बेहतरीन नमूना पेश किया लेकिन ग्रेट ब्रिटेन ने इस क्वार्टर के आखिरी मिनट में चार पेनल्टी कार्नर हासिल किये जिनमें से सैमुअल वार्ड चौथे को गोल में बदलने में सफल रहे। हार्दिक का गोल दर्शनीय था। उन्होंने बीच मैदान से गेंद संभाली और अकेले ही उसे लेकर आगे बढ़े। उनका पहला शॉट ओलिवर पायने ने रोक दिया था लेकिन हार्दिक को फिर से गेंद मिली और इस बार उनका ताकतवर शाट दनदनाता हुआ जाली में उलझ गया। भारत की जीत सुनिश्चित हो गयी। अब भारत की निगाह सोमवार को महिला हॉकी टीम पर रहेगी जो क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया का सामना करेगी। मुक्केबाजी और गोल्फ से भारत को निराशा हाथ लगी। बुरी तरह से चोटिल मुक्केबाज सतीश कुमार ((91 किग्रा से अधिक) विश्व चैम्पियन बखोदिर जालोलोव के खिलाफ अच्छे प्रदर्शन के बावजूद क्वार्टर में हारकर बाहर हो गए।

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