शिवरात्रि का प्रसंग है
हर-हर महादेव का नाद प्रचंड है
शिवालयों में छाया शिव भक्तों का ज्वार देख वीर दंग है
मेले हैं मलंग हैं कहीं-कहीं हुड़दंग हैं
वीर के हृदय में छिड़ी क्यों यह जंग है
तीसरा नेत्र शिव शम्भो का क्यों बंद है
उतरो नीचे शिव शम्भो कैलाश की सौगन्ध है
भारत की धरा पर छिड़ा देवासुर संग्राम है
एक और मोदी की सेना दूसरी ओर कौरवों का कोहराम है
नारी की अस्मितापर छिड़ा ये संग्राम है
आपके प्रलयंकारी तांडव पर टिक गया परिणाम है
आपके विकराल रूप पर क्यों लगा विराम है
प्रभो नेत्र खोलो तीसरा नेत्र खोलो
तीन तलाक के त्रिशंकु पर अब तो कुछ बोलो
नारी के उत्थान पर राक्षस पक्ष मौन है
मोदी से बड़ा धनुर्धारी इस वक्त कौन है
प्रभो शिव शम्भो ऐसा त्रिशूल दो
तीन तलाक के शैतान का सीना भेद दो
ठहाके लगा रहा अंहकार के मद में चूर है
बता दोे प्रभो शिव शम्भो न्याय का पल कितना दूर है
श्रीराम के परम आराध्य हमारे धीरज का इम्तहान क्यों भला
तथास्तु का वरदान देकर ही बोलो अब मैं कैलाश चला।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)