श्रीनगर। मेरा गांव-मेरा तीर्थ के तहत उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर से श्रीनगर में राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें गांवों के विकास, पलायन रोकने, बंजर खेतों के आबाद करने, शैक्षिक विकास और हिमालयी ग्रामों में एक विकास का मॉडल कैसे तैयार हो सके इसके लिए वक्ताओं ने अपने विचार रखे।गढ़वाल विवि में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि मेरा गांव-मेरा तीर्थ के तहत उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा किया गया कार्यक्रम जरूर मील का पत्थर साबित होगा। सरकार द्वारा गांवों के विकास एवं पर्यटक स्थलों को बढ़वा देने तथा रोजगार के लिए दीनदयाल पर्यटन ग्रामीण योजना तैयार की है। इससे गांवों के पर्यटन स्थलों को विकसित करने तथा पर्यटक स्थल को किस प्रकार विकसित कर रोजगार से जोड़ा जाय इसके लिए कार्य किया जायेगा। पहाड़ी व्यंजन मंडवे की रोटी और कंडाली का साग हर पर्यटक स्थल पर बने इसके लिए कार्य किया जायेगा। जबकि सर्किट योजना के तहत जो बेहतर प्रस्ताव सरकार को देगा उसको एक लाख का ईनाम भी दिया जायेगा। कार्यक्रम अध्यक्ष राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि गांवों के विकास के लिए गांव में शिक्षा और कृषि और पशुपालन को सरकार बढ़ावा दे रही है। अभी तक 1 लाख 11 हजार कृषकों को 1-1 लाख रूपये का ऋण दिया जा चुका है। नौ फरवरी को दून विवि में डॉ.नित्यानंद के नाम से हिमालय शोध संस्थान का उद्घाटन किया जायेगा। जो हिमालय ग्रामों में पलायन, कृषि और रोजगार को लेकर शोध करेगा। जिस पर 10 करोड़ के लगभग रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि श्रीनगर विस के अन्तर्गत विभिन्न कार्यों के लिए 15 सौ करोड़ खर्च होंगे। विशिष्ट अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने कहा कि गांवों को बसाने के लिए प्राइमरी से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर विषयों के साथ टीचरों की नियुक्ति होनी चाहिए, ग्रामीण प्रबन्धन का विकास होना चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा करना होगा। गांववासी ने कहा कि नीति आयोग को गांव के विकास पर सर्वे करना चाहिए। नीति आयोग का लाभ पहाड़ी राज्य को मिलना चाहिए। आरएसएस के सह प्रांत प्रचारक देवेन्द्र ने कहा कि आज लोगों को सरकार ही नहीं खुद से ही पहल करनी होगी। ताकि गांव बसा रहे और लोग पलायन न करे। इस विषय पर तमाम गोष्ठियां तो होगी, किंतु पहले हर नागरिक अपना कर्तव्य समझे कि गांव का विकास कैसे हो। इस मौके पर परिषद के अध्यक्ष प्रेम बुड़ाकोटी, समन्वयक दिगम्बर नेगी, महामंत्री राम प्रकाश पैन्यूली, मनोज नेगी, प्रो. पीएस राणा, प्रो.डीपी सकलानी, डॉ.मोहन पंवार, प्रो. जेपी पचौरी, डॉ.राकेश भट्ट, देवेन्द्र राणा, संदीप राणा, डॉ.डीएस बिष्ट सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
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