देहरादून (संवाददाता)। प्रदेश में पिरूल से बिजली बनाने के लिए 21 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। अब उरेडा इन कंपनियों को प्लांट लगाने की अनुमति देने से संबंधी प्रस्तावों पर विचार विमर्श करेगा। इसके लिए पूरी प्रक्रिया अतिम चरण में है। राज्य सरकार ने पिरूल से बिजली बनाने के लिए नीति घोषित की है। इस नीति के तहत सालाना 150 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उरेडा की ओर से इसके लिए 25-25 किलोवाट क्षमता के 20 प्लांट लगाने के लिए आचार संहिता लगने से पहले निविदा जारी की थी। इसमें देश और राज्य की 21 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इन कंपनियों को प्लांट लगाने की अनुमति देने से संबंधी प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया जा रहा है। इस संबंध में जब उरेडा के मुख्य परियोजना अधिकारियों एके त्यागी ने आचार संहिता का हवाला देते हुए कोई भी जानकारी देने से इनकार किया। हांलांकि सूत्रों का कहना है कि यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है और आचार संहिता के हटते ही इसको मूर्त रूप देने की शुरू आत हो जाएगी। ज्ञात हो कि पिरूल से बिजली बनाने के लिए जितने भी प्लांट लगाए जाएंगे, उनसे जितनी भी बिजली पैदा होगी उसे यूपीसीएल खरीदेगा। इससे कंपनियों के साथ ही पिरूल एकत्रित करने वाली संस्थाओं को फायदा होगा। साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार भी उपलब्ध होगा। वर्तमान में पूरे प्रदेश में हर साल 15 लाख मीट्रिक टन पिरूल होता है। फिलहाल यह आग की भेंट चढ़ जाता है।
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