जी हिन्दुस्तान के स्टूडियो में औरत की आजादी का 1857 देखा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ के सदस्य मुफ्ती अरशद कासमी को बर्बर अंग्रेज बनते देखा
सामाजिक कार्यकत्री अम्बर जैदी को मुफ्ती की गालियों पर खून के आँसू रोते देखा
फराह फेज की थपकी के जवाब में उन्हें कासमी के ताबड़तोड़ थप्पड़ खाते देखा
पाक खुदा को अपने हाथों बनाए बन्दे की बदौलत करारी मात खाते देखा
जो देखा सो देखा जो कासमी ने उगला वह कानों की बर्दाश्त के बाहर बताते देखा।
इस्लाम से नहीं दोस्तो हमें कोई बैर
इस्लाम वाले अपने हैं नहीं कोई गैर
किन्तु इस्लामी कट्टरता किसी माँ-बहन की आबरू पे डाले हाथ
तो जिस्म से अलग कर दिये जाने चाहिएं वे नापाक दोनों हाथ
इस्लाम के ज़ालिमाना जुर्मों की हो गई इन्तहां
तीन तलाक काले बुर्के हलाला दारुल कज़ा सब जगह मर्दों की मज़ा ही मज़ा
अब औरतों की दौर-ए-आज़ादी है मिले इन्हे सख्त से सख्त सजा।
छेड़ दो माताओ-बहनों वहशी बंदिशों से आजादी के तराने
गाओ मुफ्तियों मौलवियों से मुक्ति के गाने
निदा खान पर दागे फतवे की क्या बिसात
फतवों की हलाल-बहनों माताओ की बीतेगी काली रात
बजा दो बिगुल आजादी की जंग छेड़ दो
मोदी के पाक इरादों में अपनी चाहत कर रंग भर दो।
दारुल कज़ा रहेंगे ज़िन्दा जब तक
तुम्हारी जायज आज़ादी पर पड़े रहेंगे जुल्मी फंदे तब तक
देश की अदालतों के लिये सब हैं बराबर
हम सब भाई बहन सगे हैं समझो बिरादार।
आओ भारत को जंवा-जिंदादिल मुल्क बनाएं
हिन्दू मुसलमान का बढ़ता रोग मिटाएं
भारत माता की शान में माथा नवाएं
कबीलाई रवायतों-बंदिशों को मार भगाएं
वतन की शान दुनिया जहाँ में बढ़ाएं।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor(NWN)