लखनऊ (संवाददाता)। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विरासत योजना का विस्तार करने का फैसला किया है, जो प्रदेश के ग्रामीण हिस्सों में संपत्ति के स्वामित्व को लेकर लंबित मुद्दों को हल करती है, ताकि उन परिवारों को लाभान्वित किया जा सके, जिन्होंने कोरोनाकाल में अपने परिवार के किसी सदस्य को खो दिया है। कोविड से मरने वालों के कानूनी वारिसों को संपत्ति का अधिकार दिलाने में मदद के लिए 13 दिन का यह विशेष अभियान शुरू किया गया है।
सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है, योजना का वर्तमान चरण खतौनी या भूमि मालिकों के कानूनी उत्तराधिकारियों या विधवाओं को अधिकारों का रिकॉर्ड प्रदान करेगा। यह अभियान 18 जुलाई तक चलेगा और मामलों के निस्तारण के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इसे जल्द से जल्द हल करने से विधवाओं को बिना आजीविका के भूमि और संपत्ति के अधिकार प्राप्त होंगे।
सबके साथ, खादी है सरकार का नारा इस अभियान को चिह्न्ति करेगा।
अगले दो हफ्तों में लेखपाल और कानूनगो सहित राजस्व अधिकारी 1,08,992 राजस्व गांवों का दौरा करेंगे और ग्रामीणों की निर्विवाद विरासत पर विवरण एकत्र करेंगे, जिन्होंने परिवार के सदस्यों को कोविड से खो दिया है।
इसके लिए विधवाओं को कोई आवेदन जमा करने की जरूरत नहीं होगी। राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे स्वयं सभी जानकारी एकत्र कर आवश्यक कार्रवाई करें। विधवाओं को कृषि एवं आवासीय भूमि के पट्टे पात्रता के अनुसार आवंटित किये जायेंगे। यदि वे आवास सुविधाओं के पात्र हैं, तो ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से मकानों का निर्माण कराया जायेगा। सरकार ने इस अभियान के लिए लगभग 22,000 लेखपाल और लगभग 2,500 कानूनगो की प्रतिनियुक्ति की थी। पूरी प्रक्रिया की निगरानी संभागीय आयुक्त करेंगे और प्रत्येक जिले को 20 जुलाई तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी।
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