संविधान की जड़ों पर चोट का तेरा, मंसूबा भुलाया ना जाए
शाहीन बाग और चाँद बाग का रिश्ता क्या है
या इलाहा इलल्लाह——
जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया का रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
हरियाली वाली आजादी और जिहादिस्तान का रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी और शरजीलों का रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
आईएस आईएस और पीएफआई का रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
कश्मीर के कथित जम्हूरियत के बादशाहों और बेगमों का पड़ोसी से रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
हैदराबाद के पत्रकारों के लाड़ले दो जिहादी बन्धुओं और पड़ोसी जिहादिस्तान का रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
दिल्ली के नए वामपंथी दल और इस दल के तमाम जिहादियों का शाहीन बाग से रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
हम आठ सौ साल सुल्तान रहे हम किसी की नहीं सुनेंगे——
ऐसा ज़हर उगलने वालों ओर दिल्ली के दंगों के बीच रिश्ता क्या है
या–इलाहा–इलल्लाह——
दिल्ली दंगों के तेजाब बम, गुलेल बम और पेट्रेाल बम
इस देश की आने वाली नस्लों को जिहादी-अलगाववाद की राह दिखाएंगे हरदम।
अगर महिला पुलिस बल को भेजकर
शाहीन बाग की सड़क को करा दिया जाता खाली
तो तिरंगा हाथ में लेकर संविधान को न देते थे किराये के लोग गाली
ये संविधान की तमाम धाराओं पर जिहाद करते रहे
नये नागरिकता कानून को संविधान-विरोधी कहते रहे
देश में जिहाद का माहौल गर्माते रहे
नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को जान से मारने की धमकियाँ देते रहे
नन्हें-नन्हें बच्चों को आईएस आईएस वाली नायाब तालीम परोसते रहे
सुप्रीम कोर्ट के वकील इनकी खुशामद में पेश होते रहे
क्या सड़क कब्जाने वालों और यातायात बाधित करने वालों से ऐसे पेश आया जाए
हम इनके कट्टर जज्बे को मौन रहकर सहते रहे
सड़क पर कब्जा करने वाले इन अतिक्रमणबाजों के खिलाफ
न कोई मानवाधिकारवादी सड़क पर उतरा
न कोई डा0 अम्बेडकर का चेला-चपाटा इनके खिलाफ सामने आया
उल्टा इन्होंने बापू और डा0 अम्बेडकर को ही मोहरा बनाया
वैसे संविधान डा0 अम्बेडकर ने अकेले नहीं बनाया
संविधान को दर्जनों लोगों ने रात-दिन मेहनत करके परवान चढ़ाया
खैर, यह चर्चा फिर कभी कर लेंगे
फिलहाल, इन शाहीन बाग के दहशतगर्दों को इनकी कामयाबी पर हम दाद देंगे।
इसी कामयाबी ने मौलाना साद को जिहादाना साद बनने को उकसाया
उसने अपने चेलों को कोरोना के लिए खाद बनाया
ने केवल साजिशन पर्यटक के रूप में देश-विदेश से उन्हें बुलाया
बल्कि अल्लाह की दर पर मौत को खुशनशीबी कहकर उन्हें कोरोना बम बनाया
उन्हें जिहाद का ऐसा पाठ पढ़ाया
कहा अल्लाह पर फिदा होने का खूबसूरत लमहा आया
फिर क्या था देश में गली-गली कोरोना को उसने वायरल कराया
देश में पनप रहे जिहादियों से इनके बचाव में कहलवाया
लो देखो बेचारे अल्पसंख्यकों पर जुबानी बम बरसाया
इसको भी कहते हैं जिहाद जिसमें इन्होंने कोरोना बम का हथियार हाथ में उठाया
मोदी के नये भारत को लाचारी में इन्होंने बेशक पहुँचाया
किन्तु मोदी जी ने दूरंदेशी से मामले को विस्फोटक होने से बचाया
लेकिन इसका सबसे बड़ा खामियाजा मजदूरों और मेहनतकशों ने उठाया
जिहादाना साद अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया
यही है तबलीगी जिहाद जिसका असली चेहरा देश के सामने आया
भले ही देश ने बहुत भुगता है और बहुत भुगतेगा इनके रवैये ने यही जताया।
America’s push for Bharat’s inclusion into G-7 is a
bright opportunity on the way for our country as this
prestigious group includes seven economic powers-
America, Britain, France, Germany, Italy , Japan and Canada.
–सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।