देहरादून (संवाददाता)। दून में सचिव समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया कि अब उत्तराखंड में किसी भी संस्था को मुफ्त में जमीन नहीं दी जाएगी। राज्य गठन के बाद कई निजी और स्वयंसेवी संस्थाओं ने प्रदेश में अस्पतालए स्कूल या धर्मशाला बनाने के नाम पर मुफ्त में जमीन तो ले लीए लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं कियाए जबकि जमीन आवंटित कराने के समय बड़े.बड़े दावे किए गए थे। वहीं शासन ने जमीन ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में भी बदलाव किए गए है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सचिव समिति की बैठक में यह निर्देश दिए। गौरतलब है कि सरकार ने जमींदारी विनाश अधिनियम ;1950द्ध की कई धाराओं में खत्म करने की भी तैयारी कर ली है। इसका मकसद प्रदेश में चकबंदी की प्रक्रिया को तेज करना है। वहीं वित्त विभाग के 2013.14 के आदेश के मुताबिक विभागों के बीच जमीन हस्तांतरित करने के मामले में जिलाधिकारी स्तर पर फैसला लिया जाता है। मुख्य सचिव ने इस व्यवस्था में बदलाव के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने राजस्व विभाग को इस शासनादेश का परीक्षण कर नया प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। शनिवार को सचिव समिति की बैठक में यह मुद्दा उठा। बैठक में मुख्य सचिव ने साफ किया कि अधिकारी किसी भी संस्था को मुफ्त में जमीन देने का फैसला न लें। अगर आवश्यक होगा तो प्रदेश सरकार इस संबंध में फैसला लेगी। इसके अलावा सरकारी विभागों के बीच जमीन हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में बदलाव करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सरकार के इस फैसले के बाद संस्था को मुफ्त में दी जाने वाली जमीनों पर लगाम लगेगी।
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