सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
देश को समझना पड़ेगा
जात-पात मजहब से ऊपर उठना पड़ेगा
खुले-दिल और खुले-दिमाग से सोचना पड़ेगा
राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनना पड़ेगा।
सवाल मोदी-योगी और रावत का नहीं
सवाल इनके त्याग-तपस्या का नहीं
सवाल इनके लाजवाब राजधर्म का नहीं
सवाल है भारतीयता और हिन्दू संस्कृति का।
जिस प्रधानमंत्री की माँ तक
प्रधानमंत्री निवास तक फटक न सकीं
एक बार भी बेटे से मिलने आईं नहीं
जिस मुख्यमंत्री के परिवार का
एक भी सदस्य उत्तराखण्ड से
‘राम-कृष्ण’ प्रदेश की राजधानी लखनपुर फटका नहीं
मुख्यमंत्री से मिलने गया नहीं
ऐसे दो श्रीराम के प्रिय भाई भरत जैसे जन-सेवकों से
भारत की पुण्य भूमि यदा-कदा गौरवान्वित होती रही है।
भारत की महान परम्पराओं से प्रेरित
ऐसी दो विभूतियों पर श्रद्धा रखना
श्रीराम, श्रीकृष्ण और महान पाण्डुओं पर
आस्था जताने के बराबर है ।
क्या हम त्यागी भरत-भाव वाले
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को मान दे पाएंगे
आने वाले चुनावों में देव संस्कृति को बढ़ावा देंगे
या फिर हम दुराचारी-राक्षसी प्रवृत्तियों का शिकार हो जाएंगे।
देशवासियों आँखे खोलकर देखो
राक्षस संस्कृति वालों का कश्मीर में ताण्डव देखो
पश्चिम बंगाल में इनका सेकुलरवाद देखो
आसाम में इनका सेकुलरवादी घमासान देखो
‘राम-कृष्ण’ प्रदेश में इनका जमाया गुण्डाराज देखो
देखो-देखो देवासुर संग्राम देखो
2019 में इन्हें फिर उखाड़ फेंको।