
B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
Mob.9528727656
जिस पल हर तीसरा दिल केवल माँ भारती का हो जाएगा
उसी पल देश की माटी से जिहाद का ज़र्रा-ज़र्रा मिट जाएगा।
बिनु राम जीवन है सूना कब तक उम्मीदों पर लगाओगे चूना
ये कैसा देश है
ये कैसा वेश है
अपना ही देश देखो
बन गया पर-देश है
राम नवमी का आया पर्व विशेष है
चुनाव के पर्व का चारों तरफ आवेश है
किन्तु श्री राम मन्दिर निर्माण का लक्ष्य लापता और शेष है।
इस देश की सोच और चिंतन का आधार है
जीवन संस्कृति का जो आदर्श सार है
शक्ति और सामर्थ्य की प्रेरणा अपार है
मर्यादा और धीरज का असीम भंडार है
ऐसे ‘देव’ को लेकर इस देश में दरार है
उसी के घर आँगन में उसी का बहिष्कार है
अरे भारत के डरपोक लोगो
हमारा जीना बेकार है
धिक्कार है
धिक्कार है
हमें धिक्कार है।
स्वीकार है
स्वीकार है
हमें स्वीकार है
राम लला का पाँच सौ साल लम्बा
घर-निकाला स्वीकार है
जमीन के टुकड़े के लिए श्री राम को तरसाना स्वीकार है
तिरपाल तले भिखारी बनाकर रखना स्वीकार है
किन्तु श्री राम के सम्मान में मर-मिटना अस्वीकार है।
-जय भारत -जय जवान -जय किसान -जय विज्ञान