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थैल:- क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं व जागरूक लोगों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर किए विलुप्त होते पहाड़ की संस्कृति की धरोहर थैलों (मेले) को पुनर्जीवित, कई बर्षो बाद उमड़ा थैलों में जन सैलाब, बच्चों व महिलाओं के चेहरों पर साफ दिखा खूशी का माहौल, कहा थैल हमारी पहाड़ की संस्कृति की धरोहर थी, है और रहेगी

 

चाका, 26 अप्रैल
डीएस सुरियाल

वीडियो:- दिग्वाली का थैल

पहाड़ की संस्कृति की धरोहर की पहचान देने वाली वैशाख यानी कि अप्रैल माह में जगह-जगह आयोजित होने वाले थैल (मेले) कई वर्षों से विलुप्त होते नजर आ रहे थे। यह थैल हमारी पहाड़ की संस्कृति की धरोहर के रुप में जानी व पहचानी जाती थी। मगर इन थैलों के विलुप्त होने से हमारी नई पीढ़ी को इसकी जानकारी नहीं हो पा रही थी, जिससे वह अपनी संस्कृति को भुल कर आधुनिक युग की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जिसकी पीड़ा क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं, जागरूक लोगों व ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बुजुर्गों ने महसूस की और एक बार फिर से पहाड़ की संस्कृति की धरोहर थैलों को आगे आकर एक बार फिर से पुनर्जीवित करने की ठानी और थैलों का आयोजन शुरू किया। जिसमें क्षेत्र की महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों ने बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया और इन थैलों की रौनक बढ़ाई। थैल में जहां महिलाओं व बच्चों ने खूब खरीददारी की, वहीं गढ़वाली वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊ में खूब ठूमके लगाए।

वीडियो:- गजा का थैल

इस संबंध में प्रधान/प्रशासक लवा अनिल कुमार, पूर्व प्रधान यशपाल सिंह रावत, सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सिंह रावत, मंगल सिंह रावत, उमेद सिंह रावत, भगवान सिंह रावत, सोबन सिंह रावत, राजेश रावत, शेर सिंह रावत, देवेंद्र रणाकोटी, विनोद रणाकोटी, राजेंद्र सिंह पंवार आदि ने बताया कि क्षेत्र में लगने वाले यह थैल जहां हमारी संस्कृति की धरोहर है वहीं आपस में मेल-मिलाप कर एक दूसरे की कुशलता को पुछने का साधन भी था। बताया कि इन थैलों के विलुप्त होने से जहां थैलों का आयोजन वाले स्थान वीरान पड़े थे वहीं इन थैलों के आयोजन की जानकारी नई पीढ़ी को नहीं मिल पा रही थी।

वीडियो:- दिग्वाली का थैल

इसलिए एक बार फिर से इन थैलों का आयोजन शुरू किया है। बताया कि उनके क्षेत्र में दिग्वाली में 8 व 12 , सौण्डी 9, सूरी व पोखरी में 5, गुरियाली में 6, कांड़ी में 14 व लवा में 10-11 गते बैशाख को थैल का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बार विलुप्त होते थैलों को पुनर्जीवित कर इनका आयोजन किया गया है मगर अगले वर्ष 2026 में इनका भव्य आयोजन किया जाएगा। जिसकी तैयारी अभी से शुरू की जाएगी। शुक्रवार को गजा और दिग्वाली में थैल का आयोजन किया गया। 

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