B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
लाल बहादुर शास्त्री काका आपकी अजब है गौरव गाथा
बापू वाले महात्मा गाँधी को
हम तुम सब खूब पहचानेें
पर बात अजीब है लेकिन सच है
एक और महात्मा गाँधी को हम उतना ना मानें
मूल महात्मा गाँधी के तुरन्त बाद जो महात्मा गाँधी हम पाए
मन वचन और कर्म से महात्मा गाँधी के थे वे सच्चे-साए
किन्तु विनम्रता और सदाचार तो खून में थे समाए
राम और कृष्ण की सहजता में संस्कार योद्धा के लाए
यही सोच-सोच आज भी बिगड़ैल पड़ोसी पछताए
महात्मा गाँधी की कद काठी और स्वभाव थे वह पाए
किन्तु व्यवहारिकता में थे रिमझिम-रिमझिम वह नहाए
जय जवान और जय किसान का नारा जब-जब धरती पर लहलाए
तब-तब लाल बहादुर शास्त्री जी का जादू याद आ जाए
ऐसे तपस्वी प्रधानमंत्री की विदेश में मौत की गुत्थी कौन सुलटाए
ऐसे जपी-तपी और वीर-ब्रती की अकाल मौत पर मन-दुखी पछताए।
एक महात्मा गाँधी को धातु की गोली से मारा
दूसरे महात्मा गाँधी को कथित जहर की गोली से मारा
कैसा है मेरे देश के लोगो तुम्हारा स्वभाव कहते हो देश हमारा प्यारा
यही बर्ताव दिखाकर तुमने प्यारे तेजस्वी सुभाष को था मारा
महान देश का छोड़ दो या तो तुम प्राचीन नारा
या फिर सुधारो खुद को शकुनि की राजनीति से करो किनारा
जो भी हो अमर वीर शास्त्री काका हम तुमको शीश नवाते
पल-पल छिन-छिन मेरे काका हम दिल में तेरे ही गीत हैं गाते।
-जय भारत
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