सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
रणबाँकुरों ने हमारी पराक्रमी सेना के
जिहादिस्तान के जिहादी कैम्पों में घुसकर
दुश्मन को तहस-नहस कर डाला था
भेड़ियों की माँद में अन्दर तक जाकर
गोलियों से चनों की तरह भून डाला था
यह नज़ारा बहुत ही प्यारा था
भारत के शूरवीरों का
शौर्य प्रदर्शन अजब निराला था।
दो साल पहले की यह गौरव-गाथा
जब दुश्मन ने पीटा अपना माथा
काँप उठा था जिहादिस्तान सारा
कहती नादान दुनिया जिसको पाकिस्तान प्यारा
पल दो पल में था वह हारा
साँप सूँघ गया हो जैसे कोई भयंकार विषधारी
जिहादिस्तान की हालत हो गई थी ऐसी बेचारी।
वाह वाह वाह महावीरो क्या कहने
भारत माता के शूरवीर गहने
पहली बार देखे दुनिया ने ऐसे जलवे
चाटने को तैयार था तब जिहादिस्तान भारत के तलवे।
जिहाद के गढ़ जिहादिस्तान को मिटाने का यह एक ट्रेलर था
मोदी जी की शह पर सेना के वीरों का एक वीरोचित रिएक्शन था
जिहादिस्तान की कायराना और वहशी हरकतों पर एक छोटा बवंडर था
चेत जा चेत जा तैमूर लंग और चंगेज खान के मौजूदा सिपहसालार
मत जगा मत जगा शिवाजी महाराज पृथ्वीराज चौहान और गुरु गोविन्द सिंह जी को
मत बुला मत बुला नजदीक मत बुला जिहादिस्तान अपनी नापाक मौत को।
-इति