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पहली बार लाल किले पर दो बार तिरंगा फहराएंगे मोदी

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नई दिल्ली । नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो एक ही साल में दूसरी बार लाल किले पर तिरंगा फहराने जा रहे हैं। मोदी 21 अक्टूबर को लाल किले में आजाद हिंद फौज की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और तिरंगा फहराएंगे। यह आयोजन मोदी सरकार का ही है।  आजादी के बाद से अब तक की परंपरा में 15 अगस्त, स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं। बीते महीने 15 अगस्त को मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराया था। लेकिन 21 अक्टूबर को वे दोबारा यहां तिरंगा फहराएंगे। ऐसा करने वाले वे देश के संभवत: पहले पीएम होंगे। इस दिन आजाद हिंद फौज की 75वीं वर्षगांठ है, जिसे मोदी सरकार भव्य तरीके से आयोजित कर रही है। मोदी इसी मौके पर एक संग्रहालय का भी उद्घाटन करेंगे, जिसमें आजाद हिंद फौज और सुभाष चंद्र बोस के सामान रखे जाएंगे। इस मौके पर रिटायर सैन्य अधिकारी और आजाद हिंद फौज से जुड़े लोग मौजूद रहेंगे। स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में आजाद हिंद फौज और सुभाष चंद्र बोस की अहम भूमिका दर्ज है, लेकिन भाजपा ने हमेशा कांग्रेस पर उनकी अनदेखी का आरोप लगाया। भाजपा आजाद हिंद फौज के वर्षगांठ के बहाने जहां सुभाष चंद्र बोस को अपनाने की कोशिश की है, वहीं उसकी नजर पश्चिम बंगाल की सियासत पर भी है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह, उनके दो राज्य मंत्री किरण रिजिजू और हंसराज जी अहीर सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिस इकाई के शीर्ष अधिकारी 21 अक्तूबर को इस कार्यक्रम में दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र में मौजूद होंगे। सीआरपीएफ के महानिदेशक आर आर भटनागर ने कहा कि लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में 1959 में चीन सेना द्वारा घात लगाकर किए गए एक हमले में शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों के सम्मान में यह दिवस आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर उन सुरक्षा कर्मियों को भी याद किया जाता है जिन्होंने देश की एकता और अखंडता की रक्षा करते हुए अपनी जान की कुर्बानी दी। अधिकारियों ने बताया कि इस स्मारक को एक नया स्वरूप दिया गया है और मुख्य ढांचे को बेहतर किया गया है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक 34,000 पुलिसकर्मियों की जान जा चुकी है और पिछले एक साल (एक सितंबर, 2017 से इस साल अक्तूबर तक) 414 पुलिसकर्मियों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई। ममता बनर्जी और वाम दलों के गढ़ को ढहाने में नेता जी भाजपा के लिए संबल बन सकते हैं। यही कारण है कि पांच साल की मोदी सरकार अब जब अपने अंतिम चरण में है, तब उसे सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की याद आई है। इसके पहले भाजपा ने सरदार पटेल और भीम राव अंबेडकर को अपना बनाया और उनका जबरदस्त सियासी फायदा उठाया। मोदी 30 अक्टूबर को अंडमान-निकोबार के पोर्ट ब्लेयर भी जाएंगे। पोर्ट ब्लेयर में 75 साल पहले इसी दिन 1943 में पहली बार भारतीय जमीन पर सुभाष चंद्र बोस ने झंडा फहराया था। यह झंडा आजाद हिंद फौज का था। इस दिन की याद में पीएम यहां 150 फुट ऊंचा तिरंगा फहराएंगे। इसके साथ ही नेताजी की याद में डाक टिकट जारी करेंगे। 

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