
रुडकी (संवाददाता)। निजी स्कूल अब भी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, टाई, बैल्ट, टी शर्ट तथा आई कार्ड अभी भी स्कूल से महंगी दरों पर खरीदने पड़ रहे हैं। यही नहीं, अधिकांश स्कूल बच्चों को अपनी संस्था का नाम छपी हुई कापियां भी खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं। सरकार के सख्त रूख के बाद ज्यादातर निजी स्कूलों ने अपने पाठ्यक्रम में आखिरकार एनसीईआरटी की किताबें लगा दी हैं। इससे हालांकि अभिभावकों को अच्छी खासी राहत मिल गई है। इसके बावजूद कई स्कूल अभब भी दूसरे तरीकों से मनमानी कर रहे हैं। अभिभावक रूपेश कुमार, सुरेश शर्मा, कमर आलम आदि ने बताया कि खास दुकान से यूनिफॉर्म का कपड़ा खरीदने का दबाव बच्चों पर डाल रहा है। जबकि यही कपड़ा बाजार में दूसरी दुकानों पर भी मिल रहा है। बच्चों को आईकार्ड, टाई, बैल्ट और स्कूल का नाम छपी हुई टी शर्ट भी स्कूल से ही दी जा रही हैं। बताया कि स्कूल में ये सभी चीजें बाजार में मिलने वाले इसी गुणवत्ता के सामान के मुकाबले में दो से तीन गुना तक महंगी बेची जा रही हैं। कालू, कमल, रोहित वर्मा आदि अभिभावकों ने बताया कि कई स्कूलों में तो बच्चों को वही बैग और कापियां खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है, जिन पर स्कूल की संस्था का नाम लिखा हुआ है। बाजार में एक ही दुकान पर ये चीजें दोगुने भाव पर लेनी पड़ रही हैं। स्कूलों की इस मनमानी की कहीं कोई सुनवाई भी नहीं हो रही है। निजी स्कूलों पर भी सरकार के नियम लागू होते हैं। अगर कोई स्कूल ज्यादती कर रहा है तो अभिभावक विभाग से शिकायत कर सकते हैं। विभाग जांच कर कार्रवाई करेगा।
ब्रह्मपाल सिंह, डीईओ बेसिक, हरिद्वार