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देवपुरी अयोध्या का मसला हिन्दू की मानसिक गुलामी का जीवन्त उदाहरण

shri ram vs babar

gaur

B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित- 
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)

देश के कुछ राजनीतिक मदारी और श्रीराम की लीला

देश के कुछ चुनिंदा लोग
बन बैठे हैं मदारी
डुगडुगी बजा-बजा कर
अहसान जता रहे हैं भारी
श्रीराम के भविष्य पर कह रहे हैं
फैसले की आयी बारी
वाह! आपकी लीला रघुबर अजर बिहारी।
तीन लोक के स्वामी
मन-मन में समाए अन्तर-यामी
औलादों ने तेरी तुझको खूब छकाया
अहंकार में भर कर तेरे वजूद तक को झुठलाया
बकते रहे अनाप-शनाप जो मन में आया
बाहुबल कर्मठता और सदाचार का तेरा पाठ भुलाया
बदले में आठ सौ सालों की गुलामी का दौर पाया
देवपुरी अयोध्या में एक दानव दनदनाता आया
श्रीराम के सबसे बड़े धाम को धूल में उसने मिलाया
पूरे भारत में अपने प्रतिक्रियावादी मजहब का डंका बजाया
हिन्दुत्व को उसने अपने कदमों में झुकाया
उसकी दानवी शक्ति का सिक्का पाँच सौ साल बाद भी असरदार रह पाया
क्योंकि हिन्दू ने अपने सबसे बड़े आराध्य को हृदय से भुलाया
जब वहाँ था मन्दिर तो फिर मुसलमान का हक कहाँ से आया
अरे हिन्दू लानत है तुझ पर तेरी मेधा और तेरी भुजाओं में अकर्मण्यता का भाव कहाँ से आया?
डूब मरो हिन्दू कौम डूब मरो
तनिक अब तो थोड़ा ध्यान धरो
तूने राम-कृष्ण को भुलाया तो
आठ सौ सालों की गुलामी में खुद को पाया
मन में तेरे अगर राम-कृष्ण जिन्दा होते
तो श्रीराम साक्षात देवपुरी अयोध्या में
एक जमीन के टुकड़े के मोहताज न होते
अपनी अयोध्या में रामलला अछूत का जीवन जी रहे हैं
पूरे देश की चाल-ढाल विस्मित हो देख रहे हैं
किस तिथि और किस फैसले की बात करते हो
देवपुरी अयोध्या से आतताइयों को हटा क्यों नहीं देते हो
1526 है इस बनावटी झगड़े का आधार
यह आधार है आधार बाकी सब निराधार
अब तो चेत जाओ सच से आँखें न चुराओ
मसले को सुप्रीमकोर्ट से बाहर बाइज्जत ले आओ
सुप्रीमकोर्ट के बस में नहीं है नीर-क्षीर फैसला
पूरी की पूरी जमीन पर विश्व का भव्य मन्दिर बनाओ
यह अन्तर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक मसला है समझ जाओ
आओ सब मिलकर इतिहास की रोशनी में आगे आओ।

-जय भारत

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