देहरादून (आरएनएस)। सड़क यातायात पीडि़तों के लिए विश्व स्मरण दिवस के अवसर पर संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर व सेवा सोसाइटी द्वारा जनजागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्द्याटन मुख्य अतिथि स्वास्थ्य महानिदेशक उश्रराखंड डॉ. टी. सी. पंत, अति विशिष्ट अतिथि एच.ओ.डी. न्यूरोसर्जरी एस. एम. आई. देहरादून डॉ. पंकज अरोड़ा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में गिनीज एवं लिम्का बुक रिकार्ड होल्डर आर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि जैसे-जैसे देश बढ़ रहा है वैसे-वैसे उसी अनुपात में सडक दुर्घटनाएं भी। अपने देश में हर साल लगभग पाँच लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होते है और उनमें से लगभग हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौतें हो रही है और यदि वो सड़क दुर्घटनाओं में बच जाते है तो लगभग उतने ही लोग विकलांग हो रहे है। इसमेें भी बहुत ज्यादा दु:खदायी एवं कष्टदायी यह है कि इनमें से लगभग आधे से ज्यादा लोग युवा होते है। डॉ. संजय ने बताया कि यद्यपि सड़क दुर्घटनाएं अचानक होती हैं और इनका जीवन पर स्थाई प्रभाव होता है। यदि हम इससे होने वाले पूरे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्षति का आंकलन करें तो यह असीमित होगा। एक स्थान से दूसरे स्थान तक सड़के और गलियाँ केवल हम सब लोगों को पहँुचाती ही नहीं है बल्कि वो कुछ कहानियाँ भी कहती है। उनमें से कुछ बहुत दु:खदायी होती है लेकिन हम सबकेे लिए कुछ सीख छोड़ जाती है। डॉ. संजय ने बताया कि मैंने अपने पिछले लगभग 40 वर्षो के आर्थोपीडिक अनुभव में बहुत सी दुर्घटनाऐं बहुत ही नजदीकी से देखी हैं। डॉ. संजय ने बताया कि मेरी समझ से एक राष्ट्रीय जन जागरूकता अभियान की भी आवश्यकता है जिसमें आम आदमी को इन दुर्घटनाओं के दुष्परिणाम के बारे में बताया जाये और इस बात को भी बताया जाये कि यदि हम सब अपने और जनहित में सड़क यातायात के नियमों का पालन करे तो हम काफी हद तक इस महामारी से बच सकते हैं। वैसे तो यह एक बहुत बड़ा काम है लेकिन लेखक अपनी सामथ्र्य के अनुसार अपने संस्थान से समय-समय पर जन जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से सन् 2005 से इस संदेश को अपने संस्थान के अतिरिक्त, अपने प्रदेश तथा पड़ोस के प्रदेशों के दूर-दराज के क्षेत्रों के स्कूल, कॉलेजों के छात्रों में इस संदेश को इस बात को ध्यान रखते हुए फैला रहे हैं कि केवल एक दुर्घटना का बचाव भी कैसे किसी एक व्यक्ति के शरीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति बदल सकता है बल्कि आने वाली पीढिय़ों एवं भविष्य को भी बदला जा सकता है। कार्यक्रम में एच.ओ.डी. प्रो. डॉ. चितमे हावाग्रे, डी.डी.यू. के सीनियर ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ. एस. एन. सिंह, मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष शर्मा, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय, सेवा सोसाइटी के सचिव प्रतीक संजय एवं योगेश अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
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