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घटते प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों पर जताई

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उत्तरकाशी (संवाददाता)। कलक्ट्रेट परिसर के प्रेक्षागृह में उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में राजकीय पॉलीटेक्निक जोशियाड़ा, राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज, राबाइंका, रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आद्यशंकराचार्य इंटर कॉलेज जोशियाड़ा समेत विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने हिस्सा लिया। बुधवार को मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला में पर्यावरणविद् एवं पद्मभूषण सम्मानित चंडीप्रसाद भट्ट ने शिरकत कर जल संकट की ओर ध्यान आकर्षित कर ङ्क्षचता जताई। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक पेयजल स्रोत दिन प्रतिदिन विलुप्त होते जा रहे हैं, इनका संरक्षण जरूरी है। यू-सैक के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट ने प्रदेश सरकार के प्रयासों और जलसंरक्षण के प्रति कहा कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उत्तराखंड सरकार की अंतरिक्ष तकनीकी संबंधित कार्यों के लिए नोडल एजेंसी है। कार्यशाला की नोडल अधिकारी डॉ. आशा थपलियाल ने बताया कि यू-सैक अलकनंदा, भागीरथी समते तीन अन्य नदी घाटी के हिमनंदों, जलस्त्रोतों एवं जलधाराओं का अंतरिक्ष तकनीकी के माध्यम से अध्ययन कर डाटाबेस तैयार कर रहा है। इसका उपयोग राज्य की जल नीति बनाने और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति के न्यूनीकरण के लिए किया जाएगा। इस मौके पर यू-सैक के वैज्ञानिक शशांक ङ्क्षलगवाल, दीपेंद्रचांद, अंजू पंवार, हरीश खाली, मनीष रावत, गौरव चमोली आदि मौजूद थे।

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