रुद्रप्रयाग (अनसूया प्रसाद मलासी)। उच्च शिखरीय पादप शोध केंद्र (हैप्रेक) ने राष्ट्रीय मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज परियोजना में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को औषधीय खेती की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए औषधीय खेती की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में मौजूद किसानों को 5 हजार से अधिक जड़ी बूटी की पौध बांटी।चोपता बनियाकुंड में दो दिवसीय शैक्षिक भ्रमण से पहले हैप्रेक ने रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और बागेश्वर के चयनित 50 किसानों को चमोली के हर्बल गांव घेस और हिमनी का भ्रमण कराया। इसके बाद चोपता के बुग्यालों के भ्रमण में जानकारी देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए हमें अलग करने की जरूरत है। बुग्यालों से बिलुप्त हो रही 15 तरह की जड़ी बूटी के बचाव की दिशा में आगे बढऩा होगा। इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ विजयकांत पुरोहित ने जड़ी बूटी के संरक्षण के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ वीएस मेंगवाल ने कहा कि आज के बढ़ते आयुर्वेदिक युग में जड़ी बूटी को बचाने की सख्त जरूरत है। इससे पहाड़ से पलायन पर भी रोक लगेगी। इस मौके पर किसानों को 5 हजार जड़ी बूटी की पौध दी साथ ही पौधारोपण भी किया गया। इस मौके पर हैप्रेक के जयदेव चौहान, प्रदीप डोभाल, काश्तकार राजेंद्र सिंह, जयवीर सिंह, सब्बर सिंह, भगवान सिंह, खिलाफ सिंह, कलावती देवी, मुन्नी देवी आदि मौजूद थे।
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