B. of Journalism
M.A, English & Hindi
सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
Mob.9528727656
मनोहर पर्रिकर अमर
एक बूँद होकर
समन्दर समाए रहे
एक मानव बनकर
दिल में भारत बिठाए रहे
राजनीति में रहकर
सादगी का व्रत निभाए रहे
रक्षा मंत्री बने
चार बार मुख्यमंत्री रहे
पर साधारण आदमी का जीवन बिताए रहे
गोवा के संत मनोहर
तुम दिलों में छाए रहे।
भले ही बीमारी की
क़ैद में रहे
किंतु कर्म पथ पर
मुस्तैद ही रहे
भारत माता के कर्मवीर सपूत
अब कोई क्या कहे
हर हाल में आप
एक देशभक्त संत ही रहे।
नीचे धरती का साथ था
ऊपर से गगन का हाथ था
आई आई टी मुंबई के इंजीनियर
तेरी विदाई का आँसुओं में डूबा संवाद था
हे राष्ट्र सेवक तू , रहा ‘‘निर्विवाद’’ था।
-जय भारत -जय जवान -जय किसान